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जयपुर

शिवमहापुराण कथा: श्रद्धा और संकल्प से ही शिव को पाने का सबसे बढ़िया साधन

विद्याधर नगर स्टेडियम में सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा की शुरुआत के दौरान श्रद्धा और भक्ति का नजारा देखने लायक रहा।

जयपुरMay 01, 2025 / 10:02 pm

Kamlesh Sharma

shiv mahapuran katha in Jaipur
जयपुर। 42 डिग्री तापमान के बीच मन में भोलेनाथ की आस्था का उत्साह। हर-हर महादेव की गूंज। गुरुवार को विद्याधर नगर स्टेडियम में सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा की शुरुआत के दौरान श्रद्धा और भक्ति का नजारा देखने लायक रहा। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण, गणेश पूजन और जलाधिवास अनुष्ठान से की गई। विख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव-सती की कथा सुनाकर पहले दिन की कथा श्रीगणेश किया।
आयोजन समिति के मुख्य संयोजक राजन शर्मा और सचिव एडवोकेट अनिल संत ने बताया कि कथा को सुनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान विशेष इंतजाम भक्तों के लिए किए। पंडाल के अंदर के साथ बाहर भी उतनी ही भीड़ रहा। जिसको जहां जगह मिली, वह कथा सुनने के लिए बैठ गया। धूप और गर्मी से बचने के लिए कोई छाता लेकर परिवार के साथ कथा सुन रहा है तो कोई कपड़े की ओढ में कथा सुनता हुआ नजर आया।
पहले दिन इतने श्रद्धालु पहुंचे की कथा के लिए बना पांडाल छोटे पड गए। पंडाल कथा शुरू होने के तयशुदा समय से पहले ही शिव भक्तों से खचाखच भरा नजर आया। राजन शर्मा ने बताया कि भक्तों के लिए तैयार विशेष पंडाल में तापमान 25 डिग्री के आसपास रहा। ​जलसेवा के साथ ही देशभर से आए भक्तों के लिए नि:शुल्क ठहरने और खाने की व्यवस्था की गई।
कथा शुरू होने से पहले सुबह दस बजे से सीकर रोड पर भक्तों का रैला कदम से कदम बढ़ाता नजर आया। अनिल संत ने बताया कि अगले दिन की कथा के लिए दो जगहों पर और पांडाल बनाकर वहां 50 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। श्रद्धालुओं से अपील है कि वे समय से पहुंचे और शांतिपूर्ण ढंग से कथा में शामिल हो। किसी भी प्रकार के स्वर्ण आभूषण और कीमती सामान लेकर न आए। कथा का समय दोपहर एक बजे से है।

पहले दिन शिव-सती प्रसंग सुन भावविभोर हुए भक्त

प्रदीप मिश्रा ने शिव-सती की कथा से कार्यक्रम की शुरुआत की और भक्ति, संयम और सेवा का संदेश दिया। उन्होंने राजस्थान की संस्कृति और पहनावे की सराहना करते हुए बेटियों से आग्रह किया कि वे पारंपरिक परिधान अपनाएं। कितने भी आधुनिक हो जाएं, बाहर की सभ्यता और पहनावा राजस्थान में मत लाएं। यहां का पहनावा तो माता पार्वती और भगवान शंकर ने भी धारण किया था। राजस्थान का पहनावा अपने आप में अलौकिक है। ईसर और गौरा के रूप में जब शिवमहापुराण का यजमान बने थे।
माता पार्वती ने सोलह श्रृंगार किया था। मिश्रा ने मंदोदरी की ओर से रावण को शंकर भगवान की आराधना का प्रसंग सुनाया। मंदोदरी ने रावण से भगवान शिव को कुछ भेंट देने की बात कही। इस पर रावण ने मंदोदरी से कहा- देवताओं को वस्तु की चाह हो सकती है, लेकिन महादेव को तो केवल दिल की चाह होती है। महादेव को रिझाने के लिए तो दिल और विश्वास ही काफी है।
shiv mahapuran katha in Jaipur
प्रदीप मिश्रा ने कहा भगवान शिव को अर्पित एक लोटा जल 33 कोटि देवी-देवताओं तक पहुंच जाता है। जो श्रीशिवाय नमस्तुभ्यं का जप करते हुए नित्य एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित करता है उसे सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। श्रद्धा और संकल्प शिव को पाने का साधन है। पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शिवमहापुराण कथा में शामिल होने पहुंची। कथावाचक ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का पहले ही दिन आना इस बात का संकेत है कि उनके हृदय में भगवान भोलेनाथ के प्रति प्रबल भक्ति विराजमान है। पूर्व सीएम ने कहा कि जब तक भगवान शिव का साथ नहीं हो, हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते।

ऑपरेशन करवाकर पहुंची कथा सुनने

पाली सुमेरपुर से आए पैरालेसिस बीमारी से पीड़ित इंजी.लोकेश कुमार शर्मा भी व्हील चेयर पर कथा सुनने पहुंचे। उन्होंने कहा कि टीवी पर कई बार कथा सुनी लेकिन मन में साक्षात कथा सुनने जयपुर पहुंचे। इससे उन्हें काफी आत्मशांति भी मिली। बिल्वपत्र लेकर वह पहुंचे। वैशालीनगर निवासी बुजुर्ग पुष्पा देवी पथरी का ऑपरेशन करवाकर पहुंची। उन्होंने बताया कि दर्द होने के बावजूद मन में आस्था पूरी है। बुजुर्गों के लड़खड़ाते कदम भी उनको पैदल चलने से रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा कि कथा पहले भी श्रवण कर दुख दूर हो गए। यहां पर कई भक्त चिट्‌ठी ​लेकर भी पहुंचे। प्रदीप मिश्रा ने कई श्रद्धालुओं की चिट्ठियां का जिक्र किया।

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