पहली क्रांति: शिक्षा की आजादी- उन्होंने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड अब नए प्रतिमान गढ़ेंगे। हमारा संकल्प है कि हम आगामी पांच वर्षों में 5 लाख विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ेगेंं। ये शिक्षा की अभिनव क्रांति होगी।
दूसरी क्रांति: चिकित्सा की आजादी- चिकित्सा की आजादी के लिए पतंजलि वैलनेस, योगग्राम, निरामयम, चिकित्सालयों एवं आरोग्य केन्द्रों से लेकर, आधुनिक रिसर्च के माध्यम से ऋषियों की विरासत और विज्ञान को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा संकल्प है कि हम लोगों को रोगी होने से बचायेंगे भी और रोग होने के बाद उन रोगों से योग-आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को मुक्ति दिलाएंगे।
तीसरी क्रांति: आर्थिक आजादी- पतंजलि ने शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान आदि में 1 लाख करोड़ रुपए की चैरिटी की है। 10 हजार से अधिक सेंटर्स के साथ 25 लाख से अधिक प्रशिक्षित योग शिक्षकों तथा 1 करोड़ कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ सेवा कार्य हो रहा है। हमारा संकल्प स्वदेशी उत्पाद को बढ़ाकर भारत को आर्थिक रूप से दुनिया में मजबूत बनाना है।
चौथी क्रांति: वैचारिक और सांस्कृतिक आजादी- सच्चा व असली धन केवल पैसा नहीं है अपितु अच्छा स्वास्थ्य, सुखी घर-परिवार व चरित्र, योगधन व दैवीय सम्पद ही सच्चा धन है। हमें वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से भारत को मुक्ति दिलानी है।
पांचवी क्रांति: नशा, रोग-भोग वासनाओं से आजादी- भारत में नशे के दलदल में धंसकर रोग, नशा व अश्लीलता में लोगों के जीवन तबाह हो रहा है। रोग, नशा, अश्लीलता से आजादी का हमारा संकल्प है।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का योगदान आज पूरी दुनिया को प्रेरणा दे रहा है। पतंजलि के लिए भारत एक बाजार नहीं बल्कि परिवार है। भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा को आधुनिक विज्ञान का प्रयोग करके जन-जन तक पहुंचाने का कार्य भी सर्वप्रथम पतंजलि ने ही किया है। आज पतंजलि ने दुनिया के 200 देशों में करोड़ों लोगों तक योग को पहुंचाया है।