राज्य सरकार ने योजनाओं के तहत करीब 15 हजार करोड़ के ऋण की मूल राशि का बैंकों को भुगतान कर दिया। लेकिन राशि भुगतान में हुई देरी के कारण जो ब्याज बना, वह अब तक सहकारी बैंकों को नहीं मिला है।
आर्थिक संकट और ऋण वितरण पर असर
इस भुगतान में देरी के चलते जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी), अपेक्स बैंक और अन्य सहकारी संस्थाएं वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं। बैंकों की ऋण वितरण क्षमता प्रभावित हो रही है। किसानों को ऋण देने में कठिनाई आ रही है।
सहकारी बैंकों का मानना है कि यदि सरकार समय पर राशि नहीं देती है तो बैंकिंग व्यवस्था की स्थिरता पर खतरा आ सकता है। साथ ही पूंजीगत मजबूती के लिए सरकार से 2000 करोड़ रुपये की मांग की गई है, जिससे कमजोर बैंकों को सशक्त किया जा सके।
भुगतान आज तक नहीं किया
सरकार ने 2018 व 2019 में सहकारी बैंकों से लिए गए किसानों के ऋणों को माफ करने की घोषणा की थी। योजना के तहत सरकार ने ऋणों की मूल राशि का भुगतान कर जिम्मेदारी निभाई, लेकिन ऋण के भुगतान में हुई देरी के कारण जो ब्याज बना, उसका भुगतान आज तक नहीं किया।
अब भी 29 सहकारी बैंकों एवं एसएलडीबी के लगभग 765.57 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारी राज्य सरकार पर बकाया है। इस बकाया में से करीब 200 करोड़ रुपए की राशि राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) को देनी हैं।
सुझाव और समाधान
-राज्य सरकार 2024-25 की अंतिम तिमाही तक बकाया ब्याज राशि का भुगतान करे।
-ऋण माफी योजनाओं के लिए एक समेकित नीति बनाई जाए।
-जिससे योजनाओं के वित्तीय दायित्वों को समयबद्ध तरीके से पूरा हो सके।
अब तक कितना ब्याज बकाया, वर्षवार ब्याज बकाया (करोड़ रुपये में)
साल 2019-20 : 64.91
साल 2020-21 : 274.90
साल 2021-22 : 262.62
साल 2022-23 : 113.49
साल 2023-24 : 41.30
साल 2024-25 : 8.34
कुल : 765.57