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जयपुर

राजस्थान में विलुप्त सरस्वती नदी को लेकर अच्छी खबर, तरंग से खोजेंगे संभावित रूट

Saraswati River Update : राजस्थान में विलुप्त सरस्वती नदी को लेकर अच्छी खबर। अब तरंगों के जरिए पैलियो चैनल का आसानी से पता लगा सकते हैं। राजस्थान सरकार इसके लिए जहां अलग से बजट जारी करेगी वहीं एक कमेटी भी बनाएंगी। और भी कई बड़ी बातें हैं, जानें।

जयपुरMay 17, 2025 / 07:58 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan Extinct Saraswati River Good News Possible Route Discovered through Waves
Saraswati River Update : हरियाणा के बाद अब राजस्थान भी विलुप्त सरस्वती नदी के अस्तित्व को तलाशने का काम शुरू कर रहा है। इसके लिए राज्य सरकार अलग से बजट जारी करेगी। एक कमेटी बनाने पर भी विचार किया जा रहा है, जो केवल इसी पर काम करेगी। शुरुआती अध्ययन में सामने आया है कि या तो घग्गर नदी ही सरस्वती नदी का हिस्सा होगी या फिर इसके समानांतर इसका बहाव क्षेत्र रहा होगा। इससे सटे हिस्से में जहां-जहां भू-जल की स्थिति अच्छी है, वहां जमीन के नीचे सरस्वती नदी का बहाव क्षेत्र तलाशा जाएगा। इसमें डेनमार्क अपनी उस साइंटिफिक स्टडी का सहारा लेगा, जिसमें तरंगों के जरिए पैलियो चैनल (प्राचीन नदी का मार्ग) का आसानी से पता लगा सकते हैं।

मिलकर काम करेगी ये एजेंसियां

डेनमार्क के स्टडी मैकेनिज्म की आइआइटी (बीएचयू) को जानकारी दी गई है। यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), डेनमार्क सरकार और केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के साथ आइआइटी (बीएचयू) की टीम को भी शामिल किया जाएगा। राजस्थान के पश्चिमी राजस्थान का करीब 900 किलोमीटर लंबा रूट इसमें शामिल होने की संभावना जताई गई है, जो हनुमानगढ़ से कच्छ तक है।

इसरो, काजरी व अन्य अनुसंधान एजेंसी मिलकर करेंगी काम

जल संसाधन विभाग मुख्य अभियंता, भुवन भास्कर ने बताया कि डेनमार्क की एक्सपर्ट टीम ने तरंगों के जरिए साइंटिफिक स्टडी है, इसका उपयोग सरस्वती नदी के अस्तित्व को तलाशने में भी किया जाएगा। इसरो, काजरी व अन्य अनुसंधान एजेंसी मिलकर काम करेंगी।
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नई तकनीक के जरिए काम करेंगे

शुरुआती स्टडी में सरस्वती नदी के होने के साक्ष्य मिले हैं। इस कारण अब विस्तृत काम कर रहे हैं। देश की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी से बात हो गई है। डेनमार्क दूतावास के जरिए उनके विशेषज्ञ भी नई तकनीक के जरिए काम करेंगे।
सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री

पुनर्जीवित होने की पूरी संभावना

बिड़ला विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. महावीर पूनिया और प्रो. एचएस शर्मा ने बताया कि अरावली पर्वत के ऊपर उठने, भू-गर्भ हलचल होने के बाद यमुना और सरस्वती नदी अलग-अलग हुईं। सरस्वती का प्रवाह पश्चिम की तरफ हो गया। इधर पानी का प्रवाह कम रहा और मिट्टी ज्यादा होने से नदी विलुप्त हो गई। पिछले कुछ वर्षों में जब संभावित रूट पर भू-जल स्तर बढ़ा तो सरस्वती नदी के पुनर्जीवित होने की संभावना बढ़ गई।

राजस्थान में संभावित रूट

ओटू हेड, घग्गर नदी का एक मुख्य हेड है। यह हरियाणा में है। यह घग्गर नदी के जल को राजस्थान की ओर प्रवाहित करता है। यहां से प्रदेश के हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी तहसील की तरफ आती है। फिर पीलीबंगा, सूरतगढ़, अनूपगढ़, रायसिंह नगर होते हुए कच्छ की तरफ जाने का अनुमान है।

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