मिलकर काम करेगी ये एजेंसियां
डेनमार्क के स्टडी मैकेनिज्म की आइआइटी (बीएचयू) को जानकारी दी गई है। यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), डेनमार्क सरकार और केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) के साथ आइआइटी (बीएचयू) की टीम को भी शामिल किया जाएगा। राजस्थान के पश्चिमी राजस्थान का करीब 900 किलोमीटर लंबा रूट इसमें शामिल होने की संभावना जताई गई है, जो हनुमानगढ़ से कच्छ तक है।इसरो, काजरी व अन्य अनुसंधान एजेंसी मिलकर करेंगी काम
जल संसाधन विभाग मुख्य अभियंता, भुवन भास्कर ने बताया कि डेनमार्क की एक्सपर्ट टीम ने तरंगों के जरिए साइंटिफिक स्टडी है, इसका उपयोग सरस्वती नदी के अस्तित्व को तलाशने में भी किया जाएगा। इसरो, काजरी व अन्य अनुसंधान एजेंसी मिलकर काम करेंगी।राजस्थान में 335 बांध पानी से खाली, अब पेयजल संकट से बचाएंगे ये 7 बड़े बांध
नई तकनीक के जरिए काम करेंगे
शुरुआती स्टडी में सरस्वती नदी के होने के साक्ष्य मिले हैं। इस कारण अब विस्तृत काम कर रहे हैं। देश की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी से बात हो गई है। डेनमार्क दूतावास के जरिए उनके विशेषज्ञ भी नई तकनीक के जरिए काम करेंगे।सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री