जानें पूरा मामला
बच्चों की मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने दोनों बच्चों की कस्टडी मांगी। अपनी याचिका में मां ने कोर्ट को बताया कि उनके पति की किडनी फेल होने के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद ससुराल में उन्हें ताने मारते थे, जिसके बाद वह पीहर में रहने लगीं। इस दौरान बच्चे दादा-दादी के पास रह रहे थे।
यूट्यूब चैनल पर कोई निगरानी नहीं
याचिका में दावा किया गया कि उनकी बेटी यूट्यूब चैनल चला रही थी, लेकिन इस पर कोई निगरानी नहीं थी। साथ ही, चैनल से हो रही आय भी किसी और के पास जा रही थी। कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि दादा-दादी को वीडियो अपलोड करने की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई नियंत्रण नहीं रखा।
बच्चों की प्राकृतिक संरक्षण मां
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्चों के सर्वोत्तम हित में उनकी देखभाल का अधिकार उनकी मां को दिया जाना चाहिए, क्योंकि मां ही बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक होती है।