कैसे बुजुर्ग को फंसाया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जाल में?
इस घटना की शुरुआत 23 मई, 2025 को हुई जब पीड़ित को दो अज्ञात मोबाइल नंबरों से कॉल आए। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी ‘संजय कुमार’ बताया और दावा किया कि बुजुर्ग के नाम से खरीदे गए एक सिम कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और आपत्तिजनक संदेश भेजने में हुआ है। बात को विश्वसनीय बनाने के लिए पीड़ित को एक फर्जी ‘सीबीआई अधिकारी’ रोहित कुमार गुप्ता से जोड़ा गया।वीडियो कॉल पर नकली कोर्ट रूम का दृश्य दिखाया
इस ‘अधिकारी’ ने वीडियो कॉल पर नकली कोर्ट रूम का दृश्य दिखाया, जिसमें एक फर्जी जज डेस्क पर बैठा था। जज ने कथित तौर पर आदेश दिया कि यदि बुजुर्ग तुरंत पैसे जमा नहीं करते, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएंगे। डर के मारे बुजुर्ग ने 26 मई को आईसीआईसीआई बैंक के “कृष्णा सर्जिकल” नामक खाते में 23.56 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए।
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पुलिस की सटीक कार्रवाई, दिल्ली से गिरफ्तारी
पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम थाना जयपुर में FIR संख्या 04/2025 दर्ज की गई। जांच में सामने आया कि उक्त खाते में उसी दिन करीब 3 करोड़ रुपये अन्य पीड़ितों से भी जमा हुए थे, जिन्हें तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।साइबर टीम ने तकनीकी ट्रेसिंग के आधार पर सुरेश जाट को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी पर चंडीगढ़ और सोनीपत में भी इसी तरह के केस दर्ज हैं। पुलिस अब गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है।