वह 2019 में पपला गुर्जर को बहरोड़ थाने की हिरासत से भगाने के मामले में वांछित था। पुलिस ने उसके पास से एक AK-56 राइफल, दो मैगजीन और सात जिंदा कारतूस बरामद किए।
AGTF राजस्थान को मिली सफलता
दरअसल, AGTF राजस्थान जयपुर की टीम लगातार गैंगस्टरों और इनामी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इस ऑपरेशन में उप महानिरीक्षक पुलिस योगेश यादव के समन्वय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा के सुपरविजन और उप अधीक्षक पुलिस फूलचंद के नेतृत्व में यह सफलता मिली। बता दें, राजवीर गुर्जर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खेरोली गांव का रहने वाला है। उसे बहरोड़ थाने के एक मामले में वांछित था, जिसमें उस पर कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज था। जैसे कि दंगा करना, सरकारी कर्मचारी पर हमला, हत्या की कोशिश, और हथियारों से संबंधित अपराध। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।
राजवीर ने ही पपला को भगाया था
बताते चलें कि 2019 में राजवीर ने अपने साथियों के साथ मिलकर बहरोड़ थाने में बंद कुख्यात गैंगस्टर पपला गुर्जर को छुड़ाने के लिए हथियारों का इस्तेमाल किया था। उसने AK-47, AK-56 और पिस्तौल से फायरिंग की और पपला को हिरासत से भगा ले गया। इस घटना के बाद से वह छह साल तक फरार रहा। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए “ऑपरेशन लारा” शुरू किया। यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि राजवीर बचपन में क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी था और गांव में उसे “लारा” के नाम से बुलाया जाता था। जानकारी के मुताबिक राजवीर बहुत चालाकी से फरारी काट रहा था। वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता था और न ही फेसबुक, इंस्टाग्राम या टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करता था। वह अपने परिवार या दोस्तों के संपर्क में भी नहीं था। इस वजह से पुलिस के लिए उसे पकड़ना मुश्किल हो रहा था। लेकिन AGTF ने अपने मुखबिर तंत्र को मजबूत किया और जमीनी स्तर पर मेहनत करके आखिरकार उसे रेवाड़ी से पकड़ लिया। इस ऑपरेशन में कॉन्स्टेबल सुधीर कुमार की भी अहम भूमिका रही।
18-20 राज्यों में फरारी काटी
पूछताछ के दौरान राजवीर ने बताया कि पिछले छह साल में उसने करीब 18-20 राज्यों में अपनी पहचान छुपाकर फरारी काटी। वह कर्नाटक के विजय नगर, महाराष्ट्र के कोल्हापुर और नासिक, गोवा, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, हरियाणा और दिल्ली के कई इलाकों में रहा। इस दौरान उसने कई बार अपना भेष बदला और दक्षिण भारत के अखाड़ों में छुपता रहा ताकि पुलिस उसे न पकड़ सके। फरारी के दौरान वह अलग-अलग नामों से बसों और ट्रेनों में लंबी यात्राएं करता रहा और किसी भी जगह ज्यादा समय तक नहीं रुका। इस तरह वह लगातार पुलिस को चकमा देता रहा। लेकिन AGTF की सतर्कता और मेहनत के कारण आखिरकार वह पकड़ा गया। यह कार्रवाई जयपुर पुलिस और AGTF की बड़ी उपलब्धि है।