scriptRath Yatra 2025 : पुरी की परंपरा, जयपुर की शिल्पकला और सौहार्द का संगम बनी जगन्नाथ रथयात्रा | Rath Yatra Jagannath became a confluence of Puri's tradition, Jaipur's craftsmanship and harmony | Patrika News
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Rath Yatra 2025 : पुरी की परंपरा, जयपुर की शिल्पकला और सौहार्द का संगम बनी जगन्नाथ रथयात्रा

इस वर्ष जयपुर की धरती पर तीसरी बार आयोजित हो रही श्री जगन्नाथ रथयात्रा 2025, न केवल धार्मिक आस्था का पर्व बनेगी बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और शिल्पकला की मिसाल भी पेश करेगी।

जयपुरJun 27, 2025 / 04:14 pm

Devendra Singh

jagannath rath yatra

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देवेंद्र सिंह

जयपुर. इस वर्ष जयपुर की धरती पर तीसरी बार आयोजित हो रही श्री जगन्नाथ रथयात्रा 2025, न केवल धार्मिक आस्था का पर्व बनेगी बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और शिल्पकला की मिसाल भी पेश करेगी। यह रथयात्रा श्रद्धा, संस्कृति और आध्यात्मिक उल्लास का अद्भुत संगम बनकर उभरेगी। तीन वर्ष पूर्व भगवान श्रीजगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा की दिव्य मूर्तियां पुरी से जयपुर लाई गई थीं। इसके बाद से हर वर्ष श्री जगन्नाथ सेवक समिति और डोला फाउंडेशन के तत्वावधान में भव्य रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। इस बार भी ये दिव्य मूर्तियां भव्य रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण को निकलेंगी।

इस वर्ष की रथयात्रा विशेष इसलिए भी है क्योंकि पहली बार एक मुस्लिम परिवार ने भगवान जगन्नाथ के लिए रथ का निर्माण किया है। जयपुर निवासी इमरान खान और उनकी टीम ने करीब एक महीना 26 दिन में इस रथ को तैयार किया है। यह रथ 25 फीट ऊंचा और लगभग 2000 किलोग्राम वजनी है। इसमें प्लाई, सागवान, बबूल और सरई की लकड़ी का प्रयोग हुआ है। निर्माण पूरी तरह हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया है, और पुरी के श्री जगन्नाथ सेवक समिति के सदस्य दत्तदेव दास के मार्गदर्शन में इसका निर्माण हुआ। इमरान खान ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बताया है।

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जयपुर के रथ पर पुरी की शिल्पकारी

रथ का निर्माण जयपुर के ऑटोमोबाइल नगर में किया गया, जिसमें पुरी के महारणाओं की पारंपरिक शैली और आधुनिक तकनीक का अनूठा संगम है। हाइड्रोलिक तकनीक के प्रयोग से इसकी ऊंचाई साढ़े चार फीट तक घटाई-बढ़ाई जा सकती है, जिससे यात्रा मार्ग में बिजली के तारों व कम ऊंचाई वाले दरवाजों से रथ सुरक्षित निकल सके। रथ का रंग संयोजन पुरी के रथ की भांति पीला, हरा, नीला और लाल रखा गया है, जिसे पारंपरिक सजावट से संवारा गया है।

पुरी से लाई गई थी मूर्तियां

श्री सेवक देवज्योति राय ने बताया कि पुरी से लाई गई इन मूर्तियों को पुरी के पुजारी नरसिंह सतपथी द्वारा पूजा अर्चना कर, शंकराचार्य के आशीर्वाद सहित जयपुर भेजा गया था। अब ये मूर्तियां राधारमण खाटूश्याम मंदिर, प्रतापनगर में प्रतिष्ठापित हैं। जयपुर रथयात्रा पर पुरी से लाया गया विशेष ध्वज फहराया जाएगा।

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