scriptRGHS: बेकसूर मरीजों को इलाज की जगह मिल रही अघोषित ‘सजा’, सबसे ज्यादा भुगतभोगी पेंशनर | RGHS: Innocent patients are getting undeclared 'punishment' instead of treatment, pensioners are the worst sufferers | Patrika News
जयपुर

RGHS: बेकसूर मरीजों को इलाज की जगह मिल रही अघोषित ‘सजा’, सबसे ज्यादा भुगतभोगी पेंशनर

राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से की जा रही जांच में अनियमितताओं के आरोपों पर संबंधित अस्पताल के साथ ही वहां इलाज करवाने वाले मरीजों को भी अघोषित ‘सजा’ मिल रही है।

जयपुरMay 31, 2025 / 09:04 am

anand yadav

RGHS: इलाज के लिए राज्यकर्मी, पेंशनर्स हो रहे परेशान, पत्रिका फोटो

विकास जैन
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से की जा रही जांच में अनियमितताओं के आरोपों पर संबंधित अस्पताल के साथ ही वहां इलाज करवाने वाले मरीजों को भी अघोषित ‘सजा’ मिल रही है। गड़बड़ी मिलने पर संबंधित अस्पताल को योजना से निलंबित किया जा रहा है।

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मुसीबत उन मरीजों के लिए अधिक हो रही है जिनका पहले से उन अस्पतालों के किसी चिकित्सक के पास इलाज चल रहा है। कई बार इमरजेंसी में भी मरीज उन अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इस योजना के दायरे में सरकारी कर्मचारी और पेंशनर सहित उनके परिवार हैं। पेंशनर और उनकी पत्नी की लंबी दवाइयां व इलाज चलने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें हो रही है।

पता कैसे करें…

सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को बड़ी परेशानी निलंबन वाले अस्पताल की सूचना जारी नहीं करने से भी हो रही है। निलंबन के बाद आवश्यक सुनवाई पूरी होने पर कई अस्पताल वापस योजना से जुड़ रहे हैं। इस प्रक्रिया के बीच जो मरीज यहां पहुंच रहे हैं। उन्हें भर्ती होने पर लाखों खर्च करने पड़ रहे हैं।

RGHS: इलाज में नियमों का अडंगा, मरीज परेशान, पत्रिका फोटो

सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के तर्क

अस्पताल ने गड़बड़ी की है तो सजा मिलनी चाहिए, उन्हें सरकार चाहे तो स्थायी निलंबित कर दे, लेकिन इन अस्पतालों की सूची जारी करे। नाम छिपाकर सजा मरीज को भी दी जा रही है। अस्पतालों को निलंबन के बाद आवश्यक सुनवाई कर कुछ दिन में वापस भी जोड़ा जा रहा है। इस बीच जीवन भर की कमाई लुटवाकर इन अस्पतालों में इलाज करवाने वाले मरीजों की सुनवाई कौन करेगा?

जमा करवाने पड़े 50 हजार

जयपुर के एक बड़े निजी अस्पताल में एक पेंशनर न्यूरो संबंधी विकार के कारण आरजीएचएस योजना के तहत इलाज करवा रहे थे। उन्हें भर्ती की जरूरत पड़ने पर यह अस्पताल योजना से निलंबित था। उसी डॉक्टर से इलाज करवाने की मजबूरी के कारण उन्हें 50 हजार रुपए जमा करवाने पड़े। डिस्चार्ज तक बिल लाखों रुपए पहुंचने की आशंका में परिजन बेचैन हैं। ऐसे मरीजों की संख्या अब बढ़ती जा रही है। एक निजी अस्पताल ने तो आरजीएचएस योजना में आउटडोर इलाज देने से मना कर दिया।
RGHS: गड़बड़ी पर कई अस्पताल निलंबित, मरीज परेशान, पत्रिका फोटो

कैशलेस बंद कर पुनर्भरण शुरू करे सरकार

अनियमितताओं में लिप्त अस्पताल, डॉक्टर, कथित मरीज, परिजन और विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। कार्रवाई के नाम पर लीपापोती होती है। अस्पताल बाहर, फिर अंदर.. और ये खेल चलता रहता है। आरजीएचएस के सभी स्टेकहोल्डर अस्पताल, चिकित्सक, लाभार्थी, बीमा कंपनी, राशा, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, अधिकारी सबकी बारीकी व गहराई से जांच हो। स्वतंत्र निष्पक्ष और आधिकारिक एजेंसी से जांच होनी चाहिए। तब तक के लिए कैशलेस आरजीएचएस बंद कर सभी निजी अस्पतालों मे पुनर्भरण प्रणाली के तहत इलाज होना चाहिए। -डॉ. विजय कपूर, प्रेसिडेंट, प्राइवेट हॉस्पिटल्स एसोसिएशन

अफसरों ने माना, सुझाव अच्छा है

वित्त विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने माना कि निलंबन करने व वापस लेने पर उनके नाम जारी करने का सुझाव अच्छा है। अधिकारियों को इसके निर्देश दे रहे हैं। जल्द ही नाम सार्वजनिक होने लगेंगे। गड़बड़ी करने वाले अस्पताल पर कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया है। निलंबन होता है तो अस्पताल को सुनवाई का भी मौका मिलता है। मरीजों को भी सजग रहना चाहिए। पूछताछ के बाद ही अस्पताल का चयन करें। अस्पतालों के कई विकल्प मौजूद हैं।

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