परेशान छात्राओं की ऐसी ही कुछ शिकायतों पर तकनीकी शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी बनाकर दोषी पाए जाने पर प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया था। लेकिन अब विभाग नेे एक और जांच कमेटी बनाई है। इसका छात्राओं और अभिभावकों ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब विभाग ने पहले प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया और जांच करवा ली तो फिर एक और जांच किसके दबाव में और क्यों करवाई जा रही है।
उनका आरोप है कि दूसरी कमेटी बनाकर प्रिंसिपल को क्लीन चिट देने की साजिश की जा रही है। जांच कमेटी बनाए जाने से विभाग पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। छात्राओं ने विभाग से यह भी शिकायत की है कि प्रिंसिपल अली कॉलेज क्लास के बहाने अपने पास बुलाता और निजी जिंदगी से जुड़े बेहूदा सवाल करता। वह उनसे अनर्गल बातें भी करता। जवाब नहीं देने पर कॉलेज में छात्राओं को डांट लगाई जाती।
छात्राओं के समर्थन में एबीवीपी कार्यकर्ता
एबीवीपी कार्यकर्ता भी छात्राओं के समर्थन में आ गए हैं। एबीवीपी केंद्रीय समिति के सदस्य भारत भूषण यादव ने बताया कि मंगलवार को प्रिंसिपल के विरोध में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद की ओर से बड़ा आंदोलन किया जाएगा।आनंदम क्लास के बहाने छात्राओं को बुलाता
छात्राओं ने आरोप लगाया है कि कॉलेज में प्रिंसिपल आनंदम क्लास के बहाने लाइब्रेरी या निजी रूम में बुलाता था। वह छात्राओं पर मोबाइल नंबर एक्सचेंज करने का दबाव बनाया था। वाट्सऐप पर मैसेज करता और बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड जैसी बातों को बढ़ावा देता था।पहली कमेटी ने माना दोषी
छात्राओं की शिकायत के बाद सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी में खेतान पोलिटेक्निक, अजमेर कॉलेज प्रिंसिपल और एक रिटायर्ड प्रिंसिपल को शामिल किया था। कमेटी ने पूरी रिपोर्ट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन को भेजी। इसके बाद बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने रिपोर्ट को सरकार को भेज दिया। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्मिक विभाग ने प्रिंसिपल को निलंबित कर जोधपुर मुख्यालय भेज दिया। यह भी पढ़ें
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छात्राओं ने ये आरोप भी लगाए
-कॉलेज में ज्यादातर समय लाइब्रेरी में बैठे रहना, उन्हें घूरना और कमेंट करना।-पद का फायदा उठाकर कॉलेज छात्राओं के पर्सनल ग्रुप में खुद को जुड़वाना।
-कॉलेज में शाम पांच बजे बाद तक रुककर छात्रावास की छात्राओं को पार्किंग एरिया में बुलाकर बात करना।
-छात्रावास की छात्राओं को बिना महिला वार्डन की अनुमति से बाहर भेजना और खुद उनके साथ जाना।
-कॉलेज क्लास में जांच के नाम पर जाना और अनर्गल बातें करना।
-छात्राओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना।
-वार्षिक उत्सव के समय जहां सीसीटीवी कैमरे प्राइवेसी के लिए बंद रखे जाते हैं, उन्हें शुरू कराना।
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