वहीं, सुनवाई की शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कोर्ट को सूचित किया कि एसआई भर्ती प्रकरण में ईडी ने मामला दर्ज कर लिया है, इसलिए वे न्यायमित्र के रूप में कोर्ट का सहयोग नहीं कर सकते।
दरअसल, हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आरपीएससी (RPSC) चेयरमैन और एसओजी के एडीजी को तलब किया है। कोर्ट की ओर से आरपीएससी चेयरमैन को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए। बता दें, मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
चयनित अभ्यर्थियों को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों को फटकार लगाई और पूछा कि अब तक वे अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कोर्ट में जवाब क्यों नहीं दे सके? अदालत ने कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चयनित अभ्यर्थी मामले को जानबूझकर लंबित रखना चाहते हैं। अचयनित अभ्यर्थियों की कोर्ट में दलील
हाईकोर्ट में अचयनित अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेजर आर.पी. सिंह और हरेंद्र नील ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। वकिलों ने कहा कि SOG की रिपोर्ट, मंत्री कमेटी की सिफारिश और AG की राय में भी भर्ती को रद्द करने की बात कही गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब तक केवल 50 ट्रेनी SI को ही पकड़ पाई है, जबकि असल दोषियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। कहा- पेपर लीक होने के बावजूद राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को जारी रखा, जिससे अभ्यर्थियों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने कहा कि एसआई भर्ती का प्रश्नपत्र 35 दिन पहले आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा ने रामूराम राइका को दे दिया था, ऐसे में परीक्षा की पवित्रता भंग हो गई। कटारा ने 600 प्रश्न और जवाब हाथ से लिखकर दिए, जो राइका ने अपने बेटे देवेश व बेटी शोभा को दिए और उन्होंने पुरुषोत्तम दाधीच को पेपर दिया। दाधीच ने रेणु कुमारी को दिया और फिर सुरजीत के पास पहुंचा। इनके माध्यम से काफी अभ्यर्थियों के पास पेपर पहुंच गया।
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) विज्ञान शाह ने पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार मामले की निष्पक्ष जांच कर रही है और दोषियों की सटीक पहचान के लिए समय चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक इस मामले में 6 FIR दर्ज हो चुकी हैं। हमने अब तक 50 अभ्यर्थियों को इसमें संलिप्त पाया है, लेकिन सभी दोषियों को पकड़ने के लिए विस्तृत जांच जरूरी है। एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) विज्ञान शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक मंत्री कमेटी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए थी, न कि इसे अंतिम निर्णय मान लिया जाए।
हाईकोर्ट ने पूछा- विश्वसनीयता कैसे रहेगी?
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की स्थिति पर सवाल उठाए। जस्टिस समीर जैन ने कहा कि अगर भर्ती प्रक्रिया की नींव ही गलत है, तो इसकी विश्वसनीयता पर कैसे भरोसा किया जा सकता है? अब तक सरकार अपना स्टैंड क्लियर क्यों नहीं कर पाई? क्या हमें इस मामले को CBI को ट्रांसफर कर देना चाहिए? कोर्ट ने कहा कि अगर किसी परीक्षा का पेपर बाहर आ गया हो, तो उस भर्ती को जारी कैसे रखा जा सकता है?
SOG की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
दरअसल, राज्य सरकार की ओर से अदालत में प्रस्तुत SOG रिपोर्ट में कहा गया कि परीक्षा के दिन ही पेपर लीक हुआ था। ब्लूटूथ और सॉल्वर गैंग के जरिए परीक्षा के दौरान पेपर के उत्तर लीक किए गए। परीक्षा शुरू होने के बाद ही पेपर सर्कुलेट हुआ, इससे पहले नहीं। SOG रिपोर्ट में कहा गया कि पेपर लीक में शामिल सभी लोगों की पहचान करना बेहद कठिन है।
सरकार ने अब तक निर्णय क्यों नहीं लिया?
बताते चलें कि हाईकोर्ट में अब तक हुई सुनवाई से साफ है कि SI भर्ती 2021 में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं, जिससे पूरे भर्ती प्रोसेस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इस मामले में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है, और सरकार अब तक कोई ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पाई? आपको बता दें, अभी तक कोर्ट ने भर्ती को रद्द करने का कोई फैसला नहीं दिया है, लेकिन ED को पक्षकार बनाए जाने से जांच और गहरी हो सकती है। अगली सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकता है कि मामला CBI को ट्रांसफर होगा या नहीं।