भर्ती को रद्द करना एकमात्र समाधान नहीं
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एएजी विज्ञान शाह ने कोर्ट में तर्क दिया कि भर्ती प्रक्रिया की पवित्रता भंग होना मात्र ही इसे रद्द करने का आधार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हम अपराधियों पर कार्रवाई करना चाहते हैं। अगर इस स्तर पर पूरी भर्ती को रद्द किया जाता है, तो जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया, उन्हें भी अपराधी मान लिया जाएगा। यह न्यायसंगत नहीं होगा। कोर्ट में सरकार ने यह भी कहा कि भर्ती रद्द करने का निर्णय तभी उचित होगा, जब यह साबित हो जाए कि पेपर लीक में संलिप्त उम्मीदवारों और निर्दोष अभ्यर्थियों को अलग नहीं किया जा सकता। अभी इस स्थिति तक नहीं पहुंचा गया है, इसलिए भर्ती को रद्द करना जल्दबाजी होगी।
कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि सुनवाई अभी जारी रहेगी। बुधवार को सरकार इस पर और विस्तृत दलीलें पेश करेगी।
हाईकोर्ट में पक्ष-विपक्ष की दलीलें
बताते चलें कि याचिकाकर्ता भर्ती रद्द कराने की मांग कर रहे हैं। इस मामले में याचिकाकर्ताओं के अलावा सरकार और ट्रेनिंग कर रहे सब-इंस्पेक्टर्स भी पक्षकार हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि भर्ती को पूरी तरह से रद्द किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि SOG, पुलिस मुख्यालय, AG और कैबिनेट सब-कमेटी पहले ही भर्ती निरस्त करने की सिफारिश कर चुके हैं।
वहीं, ट्रेनिंग कर रहे सब-इंस्पेक्टर्स का पक्ष है कि पेपर लीक में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। कई ट्रेनी SI ने इस नौकरी के लिए अन्य सरकारी नौकरियां छोड़ीं, ऐसे में अगर भर्ती रद्द होती है तो उनके साथ अन्याय होगा।
क्या है SI भर्ती पेपर लीक मामला?
गौरतलब है कि साल 2021 में आयोजित राजस्थान सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। जांच में सामने आया कि फर्जी अभ्यर्थियों को डमी कैंडिडेट के रूप में बिठाया गया। नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया। इस मामले में SOG ने अब तक 50 ट्रेनी SI को गिरफ्तार किया, जिनमें से 25 को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।