अभियान का उद्देश्य केवल मिलावट पर रोक लगाना नहीं बल्कि आमजन को जागरूक करना भी था। अभियान के दौरान आम, सेब, अनार, संतरा, पपीता जैसे फलों के 09 नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए, जिससे कृत्रिम रंग, मिठास या हानिकारक रसायन की मिलावट की जांच की जा सके।
आमजन को किया जागरूक
खाद्य सुरक्षा अधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस का उपयोग अनुमत है, लेकिन कैल्सियम कार्बाइड या एसिटिलीन गैस का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है और प्रतिबंधित है। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील करते हुए कहा कि फल की चमक से नहीं, उसकी गुणवत्ता से प्रभावित हों। अत्यधिक चमकदार, एक समान रंगत वाले फल मिलावटी हो सकते हैं।
अंगूर और सेब जैसे फलों पर वैक्स कोटिंग या कीटनाशक अवशेष हो सकते हैं जो बिना अच्छी तरह धोए खाने पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। फल या सब्जी खरीदते समय उसकी प्राकृतिकता पहचानें, बहुत अधिक चमकदार फल न खरीदें। उपयोग से पहले फल को नमक पानी या सादे पानी से अच्छे से धोएं। स्थानीय व मौसमी फल ज्यादा सुरक्षित व पौष्टिक होते हैं।
इस दौरान दुकानदारों को खाद्य लाइसेंस व पंजीयन के नियम बताए गए और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए। निरीक्षण के दौरान साफ-सफाई, भंडारण, और फूड सेफ्टी मापदंडों की जानकारी भी दी गई।