टीकाराम जूली ने स्वीकार की चुनौती
टीकाराम जूली ने बुधवार को एक बयान में कहा कि मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का सम्मान करता हूँ। उन्होंने कहा है कि वह कांग्रेस के शासनकाल और वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल की तुलना में डिबेट करना चाहते हैं। हम उनकी इस चुनौती को स्वीकार करते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि मुख्यमंत्री जनता के सामने खुली बहस के लिए तैयार हैं। जूली ने आगे कहा कि राजनीति में बहस का सबसे अच्छा मंच विधानसभा है, जहां पक्ष और विपक्ष के बीच सवाल-जवाब होते हैं। लेकिन, उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा में न तो आपके मंत्री सवालों के जवाब दे पाते हैं और न ही आप। फिर भी, अगर आप जनता के सामने बहस करना चाहते हैं, तो हम इसके लिए तैयार हैं। आप समय और स्थान तय कर दीजिए, हम हर जगह तैयार हैं।
सीएम भजनलाल ने दी थी चुनौती
बताते चलें कि यह पूरा विवाद सोमवार को उस समय शुरू हुआ, जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बिजली के मुद्दे पर बहस की चुनौती दी थी। सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा था कि कांग्रेस के पांच साल के शासनकाल का हिसाब उनकी डेढ़ साल की सरकार से बेहतर नहीं है। उन्होंने दावा किया कि आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं और गहलोत पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
अशोक गहलोत ने दिया था जवाब
वहीं, इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोशल मीडिया के जरिए पलटवार किया था। गहलोत ने कहा कि विपक्ष के रूप में उनकी पार्टी जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का काम करती है, लेकिन सरकार इसे आलोचना मानकर सुधार की बजाय राजनीतिक बयानबाजी में उलझ जाती है। गहलोत ने बिजली कटौती का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इतने बड़े सरकारी तंत्र, मंत्रियों, विधायकों और मीडिया की मौजूदगी के बावजूद मुख्यमंत्री को हाल की बिजली कटौती की जानकारी नहीं है, जो आश्चर्यजनक है। गौरतलब है कि इस बहस का मुद्दा राजस्थान की राजनीति में गरमा गया है। टीकाराम जूली की ओर से चुनौती स्वीकार करने के बाद बड़ा सवाल ये है कि यह बहस कब और कहां होगी? या नहीं होगी।