एनएचएआइ वर्तमान हाईवे और स्थानीय ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग प्रस्ताव तैयार कर रही है। ये प्रस्ताव जल्द ही एनएचएआइ के दिल्ली मुख्यालय भेजे जाएंगे। वहां से जिस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलेगी, उसी हिसाब से इस सड़क के विस्तार का काम शुरू होगा।
जयपुर से किशनगढ़ के बीच वर्तमान में 24 घंटे में करीब एक लाख कारों के बराबर ट्रैफिक चल रहा है। इसे तकनीकी भाषा में पैसेंजर कार यूनिट कहा जाता है। भारत में नेशनल हाईवे बनाने के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं।
60 हजार से लेकर एक लाख पैसेंजर कार यूनिट का ट्रैफिक जिस सड़क पर होता है। वह सड़क कम से कम आठ लेन की होनी चाहिए। इतनी लेन की सड़क होने पर ही ट्रैफिक निर्बाध रूप से चल सकता है। इसलिए वर्तमान छह लेन सड़क का विस्तार करने का निर्णय किया गया है।
एक अलग नेशनल हाईवे की भी बन रही डीपीआर
एनएचएआइ एक अलग नेशनल हाईवे की भी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनवा रही है। यह नेशनल हाईवे जयपुर रिंग रोड के पास बालावाला से शुरू होकर किशनगढ़-अजमेर-जोधपुर होते हुए पचपदरा तक बनना प्रस्तावित है। यह हाई स्पीड कोरिडोर होगा। इसकी लम्बाई 350 किलोमीटर है। पहले इस कोरिडोर को दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस से ही बनाया जाना प्रस्तावित था, बाद में इसमें बदलाव कर इसकी शुरूआत जयपुर से ही करने का निर्णय किया गया है।
ये प्रस्ताव हो रहे तैयार
पहला प्रस्ताव: छह लेन एक्सप्रेस-वे: जयपुर से किशनगढ़ के बीच 93 किलोमीटर का नियंत्रित एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा। इसके साथ ही स्थानीय ट्रैफिक के लिए जयपुर से किशनगढ़ तक के लिए सर्विस लेन अलग से बनाई जाएगी। ऐसा होने से ट्रैफिक जाम की नौबत नहीं आएगी।
दूसरा प्रस्ताव: आठ लेन हाईवे: इस प्रस्ताव के तहत वर्तमान में जो ट्रैफिक का दबाव है। उस हिसाब से इस हाईवे कोे छह लेन से बढ़ाकर आठ लेन किया जाएगा। स्थानीय ट्रैफिक के लिए अलग से सर्विस लेन बनाई जाएगी। ऐसा होने से जयपुर से किशनगढ़ के बीच ट्रैफिक निर्बाध चल सकेगा।