नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मामले में आपत्ति जताते हुए कहा कि रीट पिटीशन तो नदीं बचाने की है, किसानों को पानी देने में कोई रीट पिटीशन बीच में नहीं आ रही है। जिस पर मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि वहां कानून व्यवस्था की दिक्कत है, जिसका कारण है कि हम न्यायालय के आदेश के बाद भी पानी नहीं दे पाए। आपसी समझाइश का मामला है, विपक्ष इसमें हमारा सहयोग करें।
न्यायालय में मामला विचाराधीन- जल संसाधन मंत्री
प्रश्न– बयाना विधायक ऋतु बनावत ने सदन में मंत्री सुरेश सिंह रावत से सवाल किया कि क्या सरकार गंभीर नदी में पांचना बांध से पानी छोड़े जाने का विचार कर रही है? जवाब– मंत्री ने जवाब दिया कि पांचना बांध से करौली एवं सवाईमाधोपुर जिले में 9,985 हैक्टेयर में सिंचाई सुविधा हेतु कमाण्ड क्षेत्र के काश्तकारों द्वारा न्यायालय में रीट याचिका दायर की गई तथा न्यायालय द्वारा कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाने हेतु आदेश पारित किए। जिसकी पालना कानून व्यवस्था की स्थिति में नहीं की जा सकी। ‘गंभीर नदी बचाओ’ समिति द्वारा भी एक रीट पिटीशन न्यायालय में दायर की गई। जो कि न्यायालय में विचाराधीन है, जिस पर चर्चा करना उचित नहीं है।
तालाबों में पानी भरे जाना प्रस्तावित- मंत्री
प्रश्न– विधायक ऋतु बनावत ने सवाल किया कि गंभीर नदी पर स्थित तालाबों में पानी पहुंचने के लिए क्या राम जल सेतु परियोजना में जोड़ा गया है। क्या सरकार इसको जोड़ने का विचार रखती है?
जवाब– मंत्री सुरेश सिंह रावत ने जवाब देते हुए कहा कि पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना के अंतर्गत पानी उपलब्ध करवाने के साथ ही चैनल कैनाल के आस-पास बने तालाब में पानी भरे जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में इसकी डीपीआर भारत सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय जल विकास उपक्रम द्वारा तैयार की जा रही है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही विस्तृत जानकारी मिल पाएगी।
हाईकोर्ट ने पानी छोड़े जाने के दिए थे आदेश
बता दें कि पांचना बांध की नहरों को खुलवाने के लिए साल 2006 से संघर्ष चल रहा है। 3 साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका पर पांचना बांध सिंचाई परियोजना से करौली और सवाई माधोपुर जिले के 48 गांवों को सिंचाई का पानी देने के आदेश किए थे, लेकिन नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया। इस क्षेत्र के निवासी सिंचाई के पानी के लिए लगातार मांग कर रहे हैं।