नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक 15 दिन में मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट
शर्मा बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित जल संसाधन विभाग, इंदिरा गांधी नहर विभाग, सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि इस परियोजना की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक 15 दिन में मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए एवं भूमि अवाप्ति के कार्यों में समन्वय के लिए विशेष रूप से अधिकारियों को नियुक्त किया जाए।20 अप्रेल को होगी बैठक
मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना जल समझौते के प्रथम चरण में ताजेवाला हैड से प्रदेश में जल लाने के लिए प्रवाह प्रणाली संयुक्त डीपीआर बनाने पर सहमति बनी है। इसी क्रम में डीपीआर के लिए गठित संयुक्त टास्क फोर्स की पहली बैठक 7 अप्रेल को यमुनानगर में हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौते की डीपीआर को लेकर संयुक्त टास्क फोर्स की दूसरी बैठक 20 अप्रेल को पिलानी में होगी। उन्होंने अधिकारियों को नक्शे एवं अलाइमेंट की डिजाइन की तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश दिए।Isarda Dam: खुशखबरी, इस मानसून ईसरदा बांध में होगा जल संग्रहण, 90% कार्य पूरा, 1256 गांवों को मिलेगा पानी
प्राकृतिक डिप्रेशन को जलाशयों में परिवर्तित के कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाए
शर्मा ने इंदिरा गांधी नहर विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी मुख्य नहर की बुर्जी पर बने हुए चार प्राकृतिक डिप्रेशन को जलाशयों में परिवर्तित के कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाए जिससे कि चूरू, जैसलमेर और बीकानेर जिले में पेयजल उपलब्धता में अभिवृद्धि हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना की लिफ्ट नहरों की समीक्षा करते हुए कहा कि फव्वारा सिंचाई पद्धति को विशेष रूप से विकसित किया जाए।ईसरदा पेयजल परियोजना को जून तक किया जाए पूरा
शर्मा ने कहा कि परवन वृहद् बहु-उद्देशीय सिंचाई परियोजना की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि परियोजना में बांध निर्माण कार्य एवं पाइपलाइन वितरण प्रणाली से लेकर डिग्गी एवं पंप हाउस कार्याें में गति लाई जाए। साथ ही, उन्होंने निर्देश दिए कि धौलपुर लिफ्ट सिंचाई परियोजना एवं ईसरदा पेयजल परियोजना को जून में पूरा करने के निर्देश दिए। कालीतीर लिफ्ट परियोजना के डिग्गी निर्माण कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग की जाए तथा एवं इन्हें जल्द ही शुरू कर दिया जाए। उन्होंने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले लोगों को सहानुभूति के साथ पुनर्वास एवं उचित मुआवजे उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने अपर हाई लेवल कैनाल परियोजना, पीपलखूंट हाई लेवल कैनाल परियोजना, साबरमती बेसिन के अपवर्तन जल एवं देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना की समीक्षा की।बैठक में बताया गया कि भूमि अवाप्ति के प्रकरणों में अपेक्षित प्रगति लाते हुए लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है। इसी क्रम में 10 प्रकरणों में अवाप्ति की प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है तथा शेष प्रकरणों में भी अवाप्ति की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी हो जाएगी। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री श्री सुरेश सिंह रावत सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।