चंद्रमा की धवल रोशनी में वन्यजीवों की होगी गिनती, सामने आएगा लापता वन्यजीवों का सच
राजस्थान के वन्यक्षेत्रों में विचरण कर रहे वन्यजीवों की गिनती 12 मई से शुरू होगी। वन विभाग बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गिनती करेगा।
राजस्थान के वन्यक्षेत्रों में विचरण कर रहे वन्यजीवों की गिनती 12 मई से शुरू होगी। वन विभाग बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना शुरू कर रहा है। 24 घंटे तक वन्य क्षेत्रों में वाटर होल पर पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की गिनती कर उनका रिकॉर्ड संधारित किया जाएगा।
बुद्ध पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी बहुत तेज होने के कारण वन्यक्षेत्रों में रात में जल स्रोतों पर आने वाले वन्यजीव साफ तौर पर दिखाई देते हैं। इसी वजह से वन्यजीवों की गणना करना बेहद आसान होता है। इंसानों की मौजूदगी के बावजूद भी वन्यजीव सहज रहते हैं।
वन विभाग के अनुसार यह गणना 12 मई सुबह 8 बजे से शुरू होकर 13 मई सुबह 8 बजे तक 24 घंटे होगी। जंगल में ट्रैप कैमरे भी गणना के लिए लगाए जाएंगे। कैमरों से खींची गई तस्वीरों से उनकी पहचान और संख्या की सटीक जानकारी मिलती है। वन्यजीव गणना के दौरान कई मांसाहारी और शाकाहारी पशु पक्षियों को शामिल किया जाएगा।
जयपुर मुख्यालय भेजेंगे रिपोर्ट
गणना पूरी होने के बाद एकत्रित आंकड़ों को संबंधित क्षेत्रीय डीएफओ कार्यालयों में संकलित किया जाएगा। इसके बाद इन रिपोर्ट्स को जयपुर स्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय में भेजी जाएगी। जहां से राज्य स्तरीय आंकड़ों का विश्लेषण कर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
गणना अहम, लापता वन्यजीवों का सच आएगा बाहर
राजस्थान के टाइगर रिजर्व से बीते कुछ सालों में बाघों के लापता होने की सूचनाएं सामने आई। सरिस्का में एसटी-11 की मार्च 2018 में फंदे में फंसकर मौत हो गई। एसटी-13 जनवरी 2021 से गायब है। एसटी-05 की मार्च, 2018 में हमीरपुर में ट्रैकिंग हुई थी, उसके बाद से बाघ लापता बताया जा रहा है। एसटी-2305 भी पिछले साल से गायब होने की सूचना है।