पालन-पोषण के लिए मिला अनुदान
पिछले वित्तीय वर्ष में उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत राज्य सरकार ने जिले के करीब 900 ऊंट पालकों के खातों में 211.50 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की। यह भुगतान 4230 टोडियों के पालन-पोषण, बीमा और उपचार के उद्देश्य से किया गया।
अनुदान राशि में बढ़ोतरी
इस वर्ष से ऊंट पालकों को दी जाने वाली वार्षिक अनुदान राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपए कर दिया गया है। सरकार का लक्ष्य ऊंटों की संख्या में वृद्धि कर उष्ट्र पालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।
चरागाह और दूध की मांग पर जोर
जिले में सिंचित क्षेत्र बढऩे के कारण चराई योग्य भूमि कम होने से ऊंट पालकों को समस्या हो रही है। ऊंट पालकों ने मांग की है कि प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर ऊंटों के लिए अभयारण्य घोषित किए जाएं, जिससे चराई की समस्या दूर हो सके। ऊंटनियों के दूध की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में औषधीय गुण होने के कारण डायबिटीज, घुटनों के दर्द और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों में इसके उपयोग को लाभकारी बताया गया है।
भविष्य की आय के नए द्वार
विभिन्न कंपनियों की ओर से किए गए सर्वे में सामने आया है कि आने वाले समय में ऊंटनियों के दूध की बिक्री से ऊंट पालकों को अनुदान के अलावा अच्छी आय हो सकेगी।