हकीकत: बच्चों की सेहत पर पड़ रहा असर
-फास्ट फूड में अधिक मात्रा में वसा, नमक और चीनी होती है, जिससे बच्चों में स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
- जैसलमेर में बीते तीन सालों में बच्चों में मोटापे के मामले 15 प्रतिशत बढ़े हैं।
-अधिक तला-भुना खाने से पाचन व पेट की समस्याएं बढ़ रही हैं।
-जंक फूड में पोषण की कमी होती है, जिससे बच्चों की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा प्रभावित होती है।
सुखद स्थिति भी
-जैसलमेर के कुछ स्कूलों में “स्वस्थ आहार सप्ताह” मनाया जा रहा है, जिसमें बच्चों को पोषणयुक्त भोजन खाने के लिए प्रेरित किया जाता है। -कुछ स्कूलों ने अपनी कैंटीन में जंक फूड पर प्रतिबंध लगाया है। -बच्चों को पारंपरिक आहार की ओर लौटाने के लिए च्नो जंक फूड डेज् मनाया जा रहा है।
संभव है समाधान भी
-बाजार के फास्ट फूड की बजाय घर पर हेल्दी और स्वादिष्ट विकल्प तैयार करने की जरूरत। -स्कूलों और समाज में संतुलित आहार के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की दरकार। -बच्चों के साथ बैठकर भोजन करें, ताकि वे पारंपरिक खाने को प्राथमिकता दे सकें। -फास्ट फूड को पूरी तरह मना करने की बजाय इसे सीमित मात्रा में दें, ताकि बच्चे बैलेंस्ड डाइट अपना सकें।
एक्सपर्ट व्यू: हर तरह से नुकसानदायक फास्ट फूड
सीएमएचओ डॉॅ. राजेन्द्र कुमार पालीवाल बताते हैं कि फास्टफूड वैसे तो प्रत्येक उम्र के लोगों के लिए नुकसानदायी हैं, लेकिन बच्चों को तो इनसे खास तौर पर दूर रखना चाहिए। ये केवल कार्बोहाइड्रेट से भरे होते हैं और आजकल बच्चों में शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गई है, तो सुपाच्य नहीं रह जाते। यही कारण है कि बच्चों में फेटी लीवर और शुगर लेवल के उच्च रहने की समस्या सामने आती है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को जलवायु के अनुकूल भोजन करवाएं।
पारंपरिक आहार से दूरी क्यों?
फास्ट फूड का आकर्षण और तात्कालिक संतुष्टि बच्चों को पारंपरिक आहार से दूर कर रही है। दाल-बाटी, बाजरे की खिचड़ी, घी-रोटी और हरी सब्जियां जहां पोषण से भरपूर हैं, वहीं फास्ट फूड केवल स्वाद और तृप्ति देता है।