scriptजैसलमेर: रेगिस्तान को मिले राहत की ढाल, जैसलमेर बने डेजर्ट डिजास्टर फोर्स का गढ़ | Patrika News
जैसलमेर

जैसलमेर: रेगिस्तान को मिले राहत की ढाल, जैसलमेर बने डेजर्ट डिजास्टर फोर्स का गढ़

गर्म हवाओं की चुभन, उठती रेत की दीवारें और सूखे से पस्त धरती…। रेगिस्तान की गोद में बसा जैसलमेर न केवल देश की सुरक्षा का प्रहरी है, बल्कि रेगिस्तानी आपदाओं का सबसे बड़ा झटका भी झेलता है।

जैसलमेरApr 27, 2025 / 08:50 pm

Deepak Vyas

गर्म हवाओं की चुभन, उठती रेत की दीवारें और सूखे से पस्त धरती…। रेगिस्तान की गोद में बसा जैसलमेर न केवल देश की सुरक्षा का प्रहरी है, बल्कि रेगिस्तानी आपदाओं का सबसे बड़ा झटका भी झेलता है। विकास की ओर बढ़ रहे जैसाण में अब डेजर्ट डिजास्टर फोर्स की मांग जोर पकडऩे लगी है। जानकारों की मानें तो समय की दरकार है कि इस मरुधरा को एक ऐसी फोर्स मिले, जो न केवल रेतीले संकटों से जूझे, बल्कि सीमाई आपात स्थितियों में भी फौलादी दीवार बनकर खड़ी हो। गौरतलब है कि जैसलमेर भारत-पाकिस्तान सीमा से सटा है और साल में कई बार यहां प्राकृतिक आपदाएं दस्तक देती हैं। बवंडर, आंधियां, अकाल और पानी का अभाव…। ये सभी ऐसे संकट हैं, जिनसे तुरंत निपटना जरूरी होता है। फिलहाल राहत कार्यों के लिए बाहरी बलों पर निर्भरता है। एक स्थानीय प्रशिक्षित बल इन स्थितियों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगा।

रेत में राहत: संकट से जूझने वाली मिले फोर्स

यह फोर्स विशेष रूप से रेगिस्तानी आपदाओं के अनुकूल तैयार होगी। गर्म हवाओं, बवंडरों, सूखे और रेतबाड़ी जैसी परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए इसके पास विशेष उपकरण और प्रशिक्षण होगा। यह पहल देश में पहली बार किसी क्षेत्र विशेष के लिए इस तरह का बल तैयार करने का उदाहरण बन सकती है। सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य आपात स्थितियों में भी डेजर्ट डिजास्टर फोर्स सेना और बीएसएफ के साथ मिलकर तेजी से एक्शन ले सकेगी। रेगिस्तानी इलाकों में सीमित संसाधनों के बीच त्वरित निर्णय क्षमता इस बल की सबसे बड़ी ताकत होगी।

स्थानीय प्रशिक्षण केंद्र से बनेगा देश का रेगिस्तानी मॉडल

जानकारों के अनुसार जैसलमेर में एक स्थायी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई जा सकती है, जहां देश भर से युवा आकर रेगिस्तानी आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण ले सकेंगे। इससे न केवल जैसलमेर को नया गौरव मिलेगा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय मॉडल भी बन सकता है। डेजर्ट डिजास्टर फोर्स के संचालन में सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन का समन्वय सुनिश्चित किया जाए तो एक बेहद सुदृढ़ और गतिशील ढांचा विकसित हो सकेगा। इसके साथ-साथ सीमावर्ती सुरक्षा और नागरिक राहत दोनों ही स्तरों पर मजबूती आ सकेगी।

क्यों जरूरी

-बवंडर, आंधी और सूखे से बार.बार संकट
-सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ व तस्करी की आशंका

-बाहरी राहत बलों पर निर्भरता से देरी
क्या हो सकेगी फोर्स की भूमिका
-रेतबाड़ी, गर्म हवाओं और सूखे में राहत कार्य
-बॉर्डर इमरजेंसी में त्वरित एक्शन
-सेना, प्रशासन व एनडीआरएफ के साथ समन्वय

एक्सपर्ट व्यू: युवाओं के लिए नया प्रशिक्षण और रोजगार

सीमा जन कल्याण समिति राजस्थान के प्रांत सह प्रमुख शरद व्यास के अनुसार डेजर्ट डिजास्टर फोर्स के गठन से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। रेगिस्तानी आपदा प्रबंधन जैसे विशेष क्षेत्र में प्रशिक्षण पाकर युवा आत्मनिर्भर भी बनेंगे और क्षेत्र की सेवा भी कर सकेंगे। जैसलमेर जैसे इलाकों में पारंपरिक आपदा प्रबंधन के तरीके कारगर नहीं होते। यहां के भूगोल और जलवायु को समझते हुए विशेष रूप से प्रशिक्षित स्थानीय बल ही सबसे प्रभावी भूमिका निभा सकता है। डेजर्ट डिजास्टर फोर्स जैसी पहल न केवल स्थानीय आपदाओं के प्रबंधन को सशक्त बनाने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगी। रेगिस्तान में आपात स्थितियों से निपटना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। स्थानीय बल को सीमाई संकटों और प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है। यदि जैसलमेर इस दिशा में पहल करता है तो यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकता है।

Hindi News / Jaisalmer / जैसलमेर: रेगिस्तान को मिले राहत की ढाल, जैसलमेर बने डेजर्ट डिजास्टर फोर्स का गढ़

ट्रेंडिंग वीडियो