सटीक भविष्यवाणी से कम हुआ प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
वर्षों पहले तक मौसम का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल था, लेकिन अब कृत्रिम उपग्रहों, डॉप्लर वेदर राडार और सेटेलाइट इमेजिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से मौसम पूर्वानुमान बेहद सटीक हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अब चक्रवातों के संभावित मार्ग और वर्षा की तीव्रता का पूर्वानुमान पहले से ही लगाया जा सकता है, जिससे संभावित क्षति को कम किया जा सकता है।
उन्नत तकनीकों से मौसम विज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव
मौसम विज्ञान में आई नई तकनीकों के कारण अब हर आधे घंटे में बादलों की स्थिति की जानकारी सेटेलाइट इमेजिंग के जरिए उपलब्ध होती है। डॉप्लर वेदर राडार बारिश की तीव्रता को नापकर संभावित बाढ़ का आकलन करने में सहायक है। इसी तरह जलवाष्प कणों की गणना कर यह अनुमान लगाया जाता है कि बादलों से बारिश की कितनी संभावना है।
किसानों, यात्रियों और प्रशासन को राहत
मौसम विज्ञान की प्रगति से अब किसान फसल चक्र की बेहतर योजना बना सकते हैं। हवाई, समुद्री और सडक़ परिवहन के लिए भी मौसम की सटीक जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है, जिससे यात्राओं को सुरक्षित बनाया जा सकता है। राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र नियमित बुलेटिन जारी करता है, जिससे स्थानीय प्रशासन को समय रहते आपदा प्रबंधन की तैयारी करने में आसानी होती है।
चक्रवातों और भूकंपों पर भी पैनी नजर
भारत उन छह देशों में शामिल है, जहां चक्रवाती तूफानों की निगरानी के लिए विशेष केंद्र स्थापित हैं। ये केंद्र तूफानों की गति, दिशा और तीव्रता का विश्लेषण कर उनके मार्ग की जानकारी पहले से देते हैं, जिससे प्रभावित इलाकों की आबादी को सुरक्षित निकाला जा सके। इसके अलावा, भूकंप मॉनिटरिंग सिस्टम भी बेहद उन्नत हो चुका है, जिससे झटकों की तीव्रता और केंद्र की जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकती है। मौसम राडार स्टेशन के प्रभारी अधिकारी और मौसम विज्ञानी -बी, टीआर पंवार के अनुसार मौसम विज्ञान की इन उपलब्धियों ने न केवल प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को कम किया है, बल्कि समय रहते लोगों को सतर्क कर जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाई है।