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झालावाड़

15 हजार लीटर भी नहीं मिल रहा पानी, बिल थमा दिए 25 हजार लीटर के

चौमहला उपभोक्ता मापदंड के हिसाब से निःशुल्क जलापूर्ति के हकदार हैं फिर भी यहां पर बिल राशि वसूली जा रहीं हैं।

झालावाड़Mar 24, 2025 / 09:39 pm

jagdish paraliya

जलदाय विभाग द्वारा एक महीने में 25000 लीटर पानी का बिल दिया जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है। क्योंकि किस आधार पर इसका मापन किया गया है इसका कोई पैमाना जलदाय विभाग के पास नहीं है। यहां नलों में मीटर लगे हुए ही नहीं है। वैसे भी कस्बे में एकांतरे जलापूर्ति होती है और महीने में दो-तीन बार जलापूर्ति बंद होना आम है। ऐसे में महीने भर में यहां 12-13 दिन ही नलों में पानी आता है वो भी एक बार में मात्र दो सौ से तीन सौ लीटर। सहायक अभियंता खुद 700 लीटर पानी की आपूर्ति की बात कर रहे हैं। उनकी भी माने तो भी एकांतरे जलापूर्ति में 15000 लीटर पानी भी एक माह में नहीं मिल रहा है फिर भी उपभोक्ताओं से 25000 हज़ार लीटर प्रतिमाह के हिसाब से बिल दिए जा रहे है। य़ह यहां के उपभोक्ताओं के साथ छलावा है।
राज्य सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्र की जनता को निःशुल्क स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध करवाने के दावे करती हो लेकिन चौमहला कस्बे के लोगों के लिए यह आज भी दूर की कौड़ी ही है। चौमहला ग्राम पंचायत क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां के लोगों निःशुल्क पानी नही मिल रहा है जबकि राजस्थान में सभी जगहों पर ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति निःशुल्क की जा रही है। चौमहला के समीप ही गंगधार व डग में पेयजल आपूर्ति निःशुल्क है।
अब तो जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से हजारों रुपए के बकाया बिल भी जारी कर दिए गए है। पर्याप्त जल स्रोत होने के बावजूद भी चौमहला के वाशिंदों को सालभर एकांतरे जलापूर्ति की जा रही है जो अपर्याप्त है। क़स्बे के लोग दिनभर अन्य स्रोतों से पानी का जुगाड़ करते देखे जा सकते है।

बिल का कोई मापदंड नहीं

जलदाय विभाग द्वारा एक महीने में 25000 लीटर पानी का बिल दिया जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है। क्योंकि किस आधार पर इसका मापन किया गया है इसका कोई पैमाना जलदाय विभाग के पास नहीं है। यहां नलों में मीटर लगे हुए ही नहीं है। वैसे भी कस्बे में एकांतरे जलापूर्ति होती है और महीने में दो-तीन बार जलापूर्ति बंद होना आम है। ऐसे में महीने भर में यहां 12-13 दिन ही नलों में पानी आता है वो भी एक बार में मात्र दो सौ से तीन सौ लीटर। सहायक अभियंता खुद 700 लीटर पानी की आपूर्ति की बात कर रहे हैं। उनकी भी माने तो भी एकांतरे जलापूर्ति में 15000 लीटर पानी भी एक माह में नहीं मिल रहा है फिर भी उपभोक्ताओं से 25000 हज़ार लीटर प्रतिमाह के हिसाब से बिल दिए जा रहे है। य़ह यहां के उपभोक्ताओं के साथ छलावा है।

ग्राम पंचायत को मान रखा शहरी क्षेत्र

चौमहला ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद भी विभाग ने इसे शहरी क्षेत्र में ले रखा है जिससे यहां लोगो के बिल आ रहे है। इसके लिए क़स्बे वासी निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने सभी जगह इसकी शिकायत दर्ज करवा रखी है। पिछली कांग्रेस सरकार में तो जलदाय विभाग के मंत्री से मुलाकात कर बताने पर उन्होंने भी इसे विभाग की गलती माना था लेकिन आज तक कोई सुधार नहीं हुआ।

निशुल्क जलापूर्ति के हकदार

व्यापार महासंघ चौमहला के संयोजक दिलीप जैन का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि ग्रामीण परिवेश की तरह शहरी क्षेत्र में भी 15000 लीटर प्रतिमाह उपभोग करने वालों उपभोक्ताओं को जल बिल नहीं दिए जाएंगे। इस हिसाब से चौमहला उपभोक्ता तो दोनों ही मापदंड के हिसाब से निःशुल्क जलापूर्ति के हकदार हैं फिर भी यहां पर बिल राशि वसूली जा रहीं हैं। क्योंकि जलदाय विभाग अपने रेकार्ड में भले कितने ही हज़ार लीटर जलापूर्ति का दावा कर ले लेकिन वास्तविकता में यहां के उपभोक्ताओं को 10 हज़ार लीटर पानी भी प्रतिमाह नहीं मिल रहा है।

संसाधन बढ़ेंगे तो सुविधाएं भी बढ़ जाएगी

पीएचईडी चौमहला के सहायक अभियंता मोहनलाल मीणा का कहना है कि चौमहला की पेयजल योजना शहरी क्ष्रेत्र के नाम से स्वीकृत है। जब 2006 में यह योजना बनी थी तभी से शहरी जल योजना में ही शामिल है इसलिए इसे ग्रामीण या निःशुल्क की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। वैसे भी 15 हज़ार लीटर प्रतिमाह से अधिक आपूर्ति में निःशुल्क नहीं है। चौमहला में 700 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से तो आपूर्ति हो रही है। स्टोरेज की व्यवस्था कम है इसलिए एकांतरे जलापूर्ति की जाती है। संसाधन बढ़ेंगे तो सुविधाएं भी बढ़ जाएगी। गागरीन परियोजना से जुड़ जाने व नये पंप सेट लग जाने के बाद आपूर्ति नियमित की जा सकती है।

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