जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह करीब 9.30 बजे मुख्य ऑपरेशन थिएटर में एक साथ आधा दर्जन ऑपरेशन चल रहे थे। तभी अचानक कुछ मजदूर और मिस्त्री वहां पहुंच गए। उन्होंने अंदर मरम्मत कार्य के लिए तोड़फोड़ शुरू कर दी। इससे ओटी में चारों ओर धूल उड़ने लगी। यह देखकर ऑपरेशन कर रहे डॉक्टर हड़बड़ा गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ. राजन नंदा ने तत्काल सभी ऑपरेशन रुकवा दिए।
घटना के समय जो ऑपरेशन चल रहे थे, उन्हें डॉक्टरों ने तत्काल बंद कर चीरे पर टांके लगाकर मरीजों को सुरक्षित किया। धूल और तोड़फोड़ के बीच हुई इस घटना से ओटी में अफरा तफरी का माहौल बन गया।
अधीक्षक को लिखा पत्र
एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ राजन नंदा ने एसआरजी अधीक्षक को पत्र लिखकर इस घटना पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने बताया कि शनिवार को भी ओटी में मरम्मत कार्य चल रहा था, लेकिन विभाग को इसकी कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। इससे वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बन सकी। धूल-मिट्टी के कारण अब ओटी में सभी प्रकार के ऑपरेशन बंद किए जाते हैं, जब तक कि मरम्मत पूरी न हो और फ्यूमिगेशन न किया जाए।
एक ही इमरजेंसी ओटी चालू, बढ़ेगी परेशानी
चिकित्सालय में प्रतिदिन 15 से 20 ऑपरेशन होते हैं, लेकिन वर्तमान में केवल एक इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर चालू है। उसमें भी अपर्याप्त उपकरणों के कारण गंभीर मरीजों की सर्जरी में बाधा उत्पन्न हो रही है। यदि समय पर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई तो मरीजों की जान को बड़ा खतरा हो सकता है।
काम पूरा करने का वादा कर लिया
बहुत जरूरी था वो ही काम हो रहा था, जयपुर से जो टीम आई उसे कई तरह की परेशानिया बताई, उसमें ऑपरेशन थियेटर के काम को प्राथमिकता में लिया गया। ऐसे में पीडब्ल्यूडी ने दो दिन में काम पूरा करने का वादा कर लिया। वो काम करने आए बस फर्क इतना सा रहा कि वो एक घंटा पहले काम करने आ गए। उन्हे मना कर दिया, तो वो मान गए। ऑपरेशन पूरे होने के बाद फिर काम शुरू किया। बिना सूचना के कोई काम कैसे कर सकता है। सभी को सूचना थी, टीम तो सभी के सामने आई थी।
डॉ. अशोक शर्मा, अधीक्षक एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़।