विधानसभा में शुक्रवार को कोटा-झालावाड़ फोरलेन हाइवे पर दरा की नाल में आए दिन घंटों लगने वाले जाम का मुद्दा गूंजा। जाम में फंसने की वजह पांच गंभीर मरीजों की मौत हो चुका है। खानपुर विधायक सुरेश गुर्जर ने स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से इस मुद्दे को रखते हुए राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने राज्य सरकार पर इस गंभीर समस्या क़ी अनदेखी करने का आरोप लगाया।
गुर्जर ने विधानसभा में कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 52 फोरलेन पर कोटा-झालावाड़ के बीच दरा की नाल का छह किलोमीटर का हिस्सा सिंगल लेन है। जिस पर एक बार में एक तरफ वाहन ही निकल सकते है। इसके चलते पूरे दिन 4 से 5 किलोमीटर लंबा जाम लगा रहता है। हालात इतने खराब है कि जाम में फंसे होने के कारण 5 गंभीर मरीजों ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही एम्बुलेंस के अंदर दम तोड़ दिया। गुरुवार को रीट का पेपर था।
जाम में फंसने के कारण 30 से 40 परीक्षार्थी समय पर नहीं पहुंचने के कारण परीक्षा में नही बैठ पाए। कोटा और झालावाड के लोग इस समस्या के निराकरण के लिए लगातार मांग कर रहे है। वे ज्ञापन दे रहे और प्रदर्शन कर रहे है, लेकिन सरकार के कान पर जूं नही रेंग रही है।
गुर्जर ने कहा कि इस रोड के एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री का गृह जिला झालावाड है तो दूसरी तरफ लोकसभा अध्यक्ष का संसदीय क्षेत्र है। सरकार के दो मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र सांगोद और रामगंजमंडी भी दरा की नाल पर ही मिलते हैं। फिर भी हजारों लोग घंटों तक जाम में फंसे रहते है।
गुर्जर ने समस्या के समाधान के लिए अविलंब कार्य करने और जब तक टनल या एलिवेटेड रोड नही बन जाएं, तब तक वैकल्पिक प्रबंध करके आमजन को राहत प्रदान की मांग की है। गुर्जर के प्रस्ताव पर सदन में जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इसे गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि इस समस्या के निराकरण के लिए सरकार ने 46 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कर दी है, जल्दी ही कार्य चालू होने वाला है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि इस सत्र में ऐसा पहला मौका आया है, जब किसी स्थगन प्रस्ताव पर सरकार के मंत्री ने जवाब दिया है। इस तरह जवाब देने की व्यवस्था आसन द्वारा हर प्रस्ताव के लिए दी जाए।
धारीवाल ने जमीन के स्वामित्व का सवाल उठाया
दिलावर के जवाब के बाद कोटा उत्तर विधायक शांति धारीवाल ने सरकार से पूछा कि मंत्री, जिस दरा की नाल पर सड़कचौड़ी करने की बात कर रहे हैं इसके लिए सरकार ने पैसा भी दे दिया। किंतु असलियत में जमीन का वह हिस्सा रेलवे के अंतर्गत आता है। तो क्या राज्य सरकार ने रेलवे से इस कार्य के लिए अनुमति ले ली है। अनुमति के बिना आप कैसे बना दोगे।