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झालावाड़

कहां जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, कोई पूछने वाला नहीं, तस्करों की हो रही मौज

झालावाड़ जिले का चौमहला क्षेत्र तीन ओर से मध्यप्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ है लेकिन मध्यप्रदेश से जुड़े किसी भी मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की जांच के लिए यहां कोई चेक पोस्ट तक नहीं है।

झालावाड़Dec 13, 2024 / 11:37 am

jagdish paraliya

  • jhalawar new : झालावाड़ जिले का चौमहला क्षेत्र तीन ओर से मध्यप्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ है लेकिन मध्यप्रदेश से जुड़े किसी भी मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की जांच के लिए यहां कोई चेक पोस्ट तक नहीं है। इसके चलते अवैध कारोबार करने वालों की मौज हो रही है।चौमहला क्षेत्र से मध्यप्रदेश के मन्दसौर, रतलाम, आगर व शाजापुर जिले की सीमा लगी हुई है। इन सीमाओं पर किसी भी विभाग की कोई चेक पोस्ट नहीं है। क्षेत्र में स्मैक, अफीम, शराब समेत कई अन्य मादक पदार्थों के अलावा लकड़ी व मछली की तस्करी धडल्ले से होती है। साथ ही सरकारी गेहूं व चावल की भी भारी मात्रा में काला बाजारी होती है। सीमावर्ती मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में सरकारी गेहूं व चावल की आवाजाही होती हैं। जिन्हें रोकने टोकने वाला यहां कोई नहीं है।
झालावाड़ जिले का चौमहला क्षेत्र तीन ओर से मध्यप्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ है लेकिन मध्यप्रदेश से जुड़े किसी भी मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की जांच के लिए यहां कोई चेक पोस्ट तक नहीं है। इसके चलते अवैध कारोबार करने वालों की मौज हो रही है।चौमहला क्षेत्र से मध्यप्रदेश के मन्दसौर, रतलाम, आगर व शाजापुर जिले की सीमा लगी हुई है। इन सीमाओं पर किसी भी विभाग की कोई चेक पोस्ट नहीं है। क्षेत्र में स्मैक, अफीम, शराब समेत कई अन्य मादक पदार्थों के अलावा लकड़ी व मछली की तस्करी धडल्ले से होती है। साथ ही सरकारी गेहूं व चावल की भी भारी मात्रा में काला बाजारी होती है। सीमावर्ती मध्यप्रदेश से बड़ी मात्रा में सरकारी गेहूं व चावल की आवाजाही होती हैं। जिन्हें रोकने टोकने वाला यहां कोई नहीं है।

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क्षेत्र में आमतौर पर किराना, खाद्य तेल, फल-सब्जी, हार्डवेयर का समान, सरिया, गर्डर समेत अन्य आवश्यकता की वस्तुएं मध्यप्रदेश से ही आती है। यहां से सीमेंट, पेट्रोल, डीजल, खाद आदि की कालाबाजारी कर मध्यप्रदेश भेजा जाता है। इन वस्तुओं की कीमत मध्यप्रदेश में राजस्थान से ज्यादा है।

दूरदराज का भुगत रहे खमियाजा

चौमहला क्षेत्र को जिला मुख्यालय से दूरदराज पर होने का खामियाजा भी कई बार भुगतना पड़ता है। चौमहला क्षेत्र से झालावाड़ जिला मुख्यालय की दूरी 135 से 150 किलोमीटर है। ऐसे में किसी भी कार्रवाई में होने वाली देरी का मुख्य कारण ये दूरी है। क्योंकि एक दूसरे के विभाग की कार्रवाई में आने अड़चनों की वजह सभी कतराते हैं। खनिज विभाग, रसद विभाग, खाद्य विभाग, सेल्स टैक्स आदि विभागों के यहां कोई कार्यालय नहीं है। इनकी कार्रवाई के लिए जिला मुख्यालय से ही अधिकारी आते हैं।

पुलिस चौकी की दरकार

मध्यप्रदेश की सीमा से सटे कूण्डला व सांकरिया तो राजस्थान के ऐसे बड़े गांव है, जहां पुलिस चौकी तक नहीं है। लम्बे समय से लोग यहां पुलिस चौकी खोलने की मांग करते आ रहे हैं। अगर मध्यप्रदेश की सीमा पर पुलिस या अन्य किसी प्रकार की जांच चौकी लगे तो काफी हद तक अवैध धंधों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

खाली पड़े हैं पुलिस के पद

गंगधार पुलिस थाने में कई पद रिक्त हैं। कई बार सीएलजी बैठक में जाप्ता बढ़ाने की मांग की गई लेकिन रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई। गंगधार थाने में सीआई सहित में 7 एएसआई के पद, हेड कांस्टेबल के 5 पद खाली हैं। चौमहला चौकी पर भी एएसआई व हेड कांस्टेबल का पद रिक्त है।
-इसके बारे में एक बार अध्ययन किया जाएगा कि पुलिस चौकी की आवश्यकता कहां है। उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा। गंगधार पुलिस चौकी के लिए भेजे गए प्रस्ताव को भी दिखवाएंगे।
  • जयप्रकाश अटल, पुलिस उपाधीक्षक गंगधार

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