सबसे मुखर विरोध बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानूं ने दर्ज किया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर इस नियुक्ति की योग्यता पर सवाल उठाए। इसके जवाब में बीजेपी की प्रदेश अनुशासन समिति ने जानूं को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया है।
प्रदेश प्रवक्ता को नोटिस
बीजेपी की प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कृष्ण कुमार जानूं को नोटिस भेजकर सात दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। नोटिस में कहा गया है कि जानूं ने समय-समय पर पार्टी की नीतियों और निर्णयों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से टिप्पणियां की हैं, जो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। विशेष रूप से, हर्षिनी कुलहरी की झुंझुनूं जिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर उनकी फेसबुक पोस्ट को पार्टी ने गंभीरता से लिया है। इस पोस्ट में जानूं ने हर्षिनी की योग्यता पर सवाल उठाते हुए अन्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का मुद्दा उठाया था।
क्या बोले कृष्ण कुमार जानूं?
कृष्ण कुमार जानूं ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ओमेंद्र चारण, दिनेश धाबाई, विक्रम सैनी, विकास लोटिया, सरजीत चौधरी, योगेंद्र मिश्रा जैसे कार्यकर्ताओं में ऐसी क्या कमी थी, जो हर्षिनी कुलहरी में पूरी हो गई? क्या हमें मान लेना चाहिए कि वे सबसे योग्य हैं? अगर महिला कोटे से नियुक्ति होनी थी, तो क्या यही सर्वश्रेष्ठ और योग्यतम कार्यकर्ता थीं?” इस बयान ने पार्टी के भीतर पहले से मौजूद गुटबाजी को और हवा दे दी है।
कौन है हर्षिनी कुलहरी?
हर्षिनी कुलहरी पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हैं। जानूं का उनके परिवार के खिलाफ पहले भी बयानबाजी का इतिहास रहा है, जिसने इस बार विवाद को और गहरा दिया है। हर्षिनी की नियुक्ति के बाद कुछ नेता खुलकर उनकी बधाई दे रहे हैं, जबकि कई दिग्गज नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। खासकर मंडावा विधानसभा के कुछ नेताओं की खामोशी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
पार्टी में गुटबाजी की आग
गौरतलब है कि हर्षिनी की नियुक्ति ने बीजेपी के भीतर गुटबाजी को और उजागर किया है। वहीं, कुछ नेताओं का मानना है कि हर्षिनी की नियुक्ति महिला सशक्तिकरण और नई पीढ़ी को मौका देने की दिशा में उठाया गया कदम है। इस बीच, अनुशासन समिति का नोटिस सभी के लिए सख्त संदेश है कि पार्टी नेतृत्व के फैसलों पर सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।