इस तरह रची गई हत्या की साजिश
10 जून की शाम करीब 6 बजे विक्रम सिंह (40) अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे। वे भारतीय सेना की 18 राज राइफल्स में हवलदार के पद पर कार्यरत थे। रास्ते में बड़सरी का बास के पास शराब ठेके के नजदीक काले रंग की स्कॉर्पियो में सवार अविनाश, मनीष और उनके साथियों ने उनकी गाड़ी को रोक लिया और गाली-गलौज शुरू कर दी। बाद में आरोपियों ने विक्रम सिंह का अपहरण कर उन्हें अमरपुरा कलां स्थित अविनाश के घर ले गए, जहां उनके परिजनों सहित सभी ने मिलकर लाठी, सरिए और धारदार हथियारों से बेरहमी से हमला किया। गंभीर रूप से घायल विक्रम सिंह को परिजन पहले सूरजगढ़ सीएचसी और फिर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लेकर गए, जहां रात 2:30 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतक के भाई विनोद सिंह ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दी है, जिसमें हत्या और अपहरण की धाराएं शामिल हैं। कुछ ही घंटों में दो को ले लिया था हिरासत में
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई। कुछ ही घंटों में मुख्य आरोपी अविनाश और मनीष को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने एफएसएल टीम के साथ घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए, मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल्स और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया। जांच के दौरान अविनाश की मां ज्यानी देवी की भूमिका भी सामने आई, जिसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। अविनाश और मनीष पुलिस कस्टडी में हैं, जिनसे गहन पूछताछ की जा रही है। अन्य आरोपियों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है।
ये रहे टीम में
थाना अधिकारी हेमराज मीणा, राजकुमार कांस्टेबल, प्रवीण कुमार कांस्टेबल, महेश कुमार, कांस्टेबल अजमता, महिला कांस्टेबल, जगदीश प्रसाद हेड कांस्टेबल, धर्मेंद्र कांस्टेबल, अशोक कुमार, कांस्टेबल, त्रिवेंद्र कांस्टेबल, राकेश कुमार कांस्टेबल रहे।
मामले की तह तक जाएंगे
थानाधिकारी हेमराज मीणा ने बताया कि यह हत्या के कारणों की तलाश की जा रही है। पुलिस मामले की तह तक जाने के लिए गहन जांच कर रही है। डिजिटल साक्ष्यों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।