पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) जोधपुर विकास कुमार की साइक्लोनर टीम ने एसओजी के साथ मिलकर ट्रेन में असम से दिल्ली रेलवे स्टेशन आए शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में घोटाले के 25 हजार रुपए के इनामी आरोपी बाबूलाल पटेल को पकड़ लिया। वह गैंग का सरगना है और लूनी में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठ शिक्षक था। आरोपी को जयपुर में एसओजी को सौंपा गया है।
आइजी रेंज जोधपुर विकास कुमार ने बताया कि शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैक डेट में अभ्यर्थियों को विभिन्न विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्री व प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। अजमेर के सिविल लाइंस थाने में गत वर्ष दो एफआइआर दर्ज की गई थी। इस मामले में कई विवि के कुलपतियों व रजिस्ट्रार सहित 17 जनों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पटेल ने कमला कुमारी व ब्रह्मा कुमारी को बैक डेट में डिग्री दिलाई थी। वह फरार हो गया था।
कामाख्या में मांगी थी मन्नत
गिरफ्तारी से बचने के लिए वह बार-बार असम में मां कामाख्या जाता था। गत 15 मई को उसने कामाख्या से आनंद विहार के लिए ट्रेन टिकट कराया था। तभी साइक्लोनर टीम उसके पीछे लग गई। पकड़े जाने के डर से उसने एक अन्य यात्री से ऊपर की बर्थ पर बैठने की बजाय नीचे वाली सीट ले ली थी। टीम सीट पर पहुंची, पर वहां कोई और यात्री मिला।
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पूरी ट्रेन तलाशने के बावजूद कम्बल ओढे होने व मंकी केप पहनने से बाबूलाल नहीं मिला था। दिल्ली पहुंचने से कुछ देर पहले आरोपी ने पैंट्री कार वालों से छाछ मंगाई थी। इसे पीने के लिए जैसे ही उसने मंकी केप उतारी, पुलिस ने उसे पकड़ लिया। आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर पकड़े जाने के बाद आरोपी बाबूलाल ने टॉयलेट जाने की इच्छा जताई। टॉयलेट में जाते ही उसने मोबाइल व उपकरण फ्लश में बहाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी।
कारें व शानों शौकत देख फर्जीवाड़े में उतरा
आरोपी बाबूलाल ने तनावड़ा स्कूल जाने के दौरान कार से लिफ्ट ली थी। कार में अजमेर की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी के कर्मचारी थे। इनकी कार देख वह प्रभावित हो गया था। इनसे दोस्ती के बाद वह फर्जी तरीके से डिग्री लाने में साझेदार बन गया था। दूसरी बार वह पुत्री की जांच करवाने जोधपुर में एक डॉक्टर के पास गया था। डॉक्टर उसकी बातों से प्रभावित हो गया था और अपनी बहन को शिक्षक बनवाने के लिए उससे मिन्नत करने लग गया था।
फिल्म व पात्र से ऑपरेशन का नाम हेराफेरी रखा
हेराफेरी फिल्म में मुख्य किरदार का नाम बाबू भाई था। दिखने में भी वह बाबूभाई जैसा था। इसकी शक्ल बाबूभाई से मिलती जुलती थी। इसी के चलते ऑपरेशन का नाम हेरा-फेरी रखा गया।