सिंदूर नहीं रोका, बल्कि प्रेरणा बना
जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों की बात होती है, तो प्रेरणा सिंह जैसे नाम सामने आते हैं। उन्होंने शादी के बाद भी सेना की वर्दी नहीं उतारी। बल्कि धमोरा गांव की पहली बहू बनीं जो फौज में अफसर हैं। उनके जीवन में सिंदूर सिर्फ परंपरा का नहीं, पराक्रम का भी प्रतीक है।
सैन्य परिवार से आई, देशसेवा खून में
प्रेरणा के दादा और नाना सेना में थे। पिता सेना में रिसालदार रहे और चाचा बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट। ऐसे माहौल में पली-बढ़ी प्रेरणा ने बचपन से वर्दी का सपना देखा और 2011 में पहली बार में ही सेना की परीक्षा पास कर ली। आज वह पुणे में पोस्टेड हैं और सेना में एक सशक्त महिला अधिकारी के रूप में पहचानी जाती हैं।
राजपूती गौरव और आधुनिक सोच की मिसाल
प्रेरणा सिंह अपने घर में पारंपरिक राजपूती पहनावे में रहती हैं, लेकिन जब ड्यूटी की बात आती है तो वर्दी ही उनका गौरव बन जाती है। उन्होंने साबित किया कि महिलाएं सिर्फ घर की ज़िम्मेदारियां नहीं, देश की सीमाएं भी संभाल सकती हैं।
नारी शक्ति का नया अध्याय
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रेरणा सिंह जैसी महिलाएं ही नारी सशक्तिकरण की असली पहचान हैं। उन्होंने दिखा दिया कि शादी, परंपरा और करियर को एक साथ जिया जा सकता है। राजस्थान की यह शेरनी हर उस बेटी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पंख देना चाहती है।