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जोधपुर

राजस्थान के इन 5 जिलों में मिला रेअर अर्थ मेटल का खजाना, एक्सीलेंस सेंटर बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा

Rajastha News : राजस्थान के इन 5 जिलों में दुर्लभ खनिजों का खजाना मिला। एमबीएम विश्वविद्यालय ने जोधपुर में रेअर अर्थ मेटल का एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने का प्रोजेक्ट बनाकर भजनलाल सरकार को भेजा है।

जोधपुरApr 16, 2025 / 09:39 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan in these 5 districts rare earth metal Treasure found proposal to build excellence center sent to bhajanlal government
Rajastha News : मोबाइल, कार, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस, विभिन्न इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स में उपयोग में आने वाली सेमीकंडक्टर में वर्तमान में लिथियम जैसे रेअर अर्थ मेटल (दुर्लभ मृदा धातु) का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण पूरी तरीके से रेअर मेटल पर निर्भर हैं। देश में इसकी उपलब्धता और बेहतर टेक्नोलॉजी नहीं होने से रेअर मेटल मौजूद होने के बावजूद उसको निकाल नहीं पा रहे हैं। राज्य सरकार से बातचीत के बाद एमबीएम विश्वविद्यालय ने जोधपुर में रेअर अर्थ मेटल का एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके लिए खनन एवं भूविज्ञान विभाग को 172.65 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाकर भेजा है। अगर प्रोजेक्ट राज्य सरकार स्वीकृत कर लेती है तो आने वाले समय में राजस्थान देश में रेअर अर्थ मेटल्स का हब बन जाएगा।

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क्या है प्रोजेक्ट में

रेअर अर्थ मेटल की संख्या 17 है। ऐसा अनुमान है कि राजस्थान में ये सभी 17 धातुएं पाई जाती हैं। विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर, अलवर, बांसवाड़ा, उदयपुर में इनके कुछ भण्डार हैं। प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में रेअर अर्थ मेटल की वास्तविक मैपिंग की जाएगी। इसके बाद उनके उत्पादन की सस्ती तकनीक विकसित की जाएगी। टेक्नोलॉजी के लिए कई बड़ी मशीनरी की जरूरत होगी। रेअर अर्थ मेटल्स एक्सीलेंस सेंटर में छात्र-छात्राओं को कोर्स भी करवाए जाएंगे। इससे स्थानीय रोजगार भी उपलब्ध होगा।

होगा प्रदेश का तकनीकी विकास

हमने रेअर अर्थ मेटल्स का एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा है। इसके शुरू होने से राजस्थान की खनिज सम्पदा और तकनीकी विकास काफी आगे चला जाएगा।
प्रो. अजय शर्मा, कुलपति, एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर
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क्या है रेअर अर्थ मेटल

रेअर अर्थ मेटल 17 धातु तत्वों का एक समूह है, जिसमें 15 लैंथेनाइड्स धातुओं के अलावा स्कैंडियम और यिट्रियम शामिल है। इनके प्रचुर भण्डार तो मौजूद हैं, लेकिन निष्कर्षण के लिए सस्ती व आसान टेक्नोलॉजी नहीं होने से इनके रेअर अर्थ मेटल कहते हैं। इनमें चुंबकीय, ल्यूमिनसेंट और इलेक्ट्रोकेमिकल के विशेष गुण होते हैं, जिनका उपयोग मॉडर्न टेक्नोलॉजी में बहुतायात में किया जा रहा है।
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चीन के कारण जरूरत पड़ी

एमबीएम विश्वविद्यालय के प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. अरविंद वर्मा ने बताया कि वर्तमान में दैनिक उपयोग में आने वाली अधिकांश इलेक्ट्रोनिक्स गेजेट्स और डिवाइसेस ऑटोमेटिक आ रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से रेअर अर्थ मेटल काम आते हैं। देश में 80 प्रतिशत रेअर अर्थ मेटल चीन से आयात किए जाते हैं जो काफी महंगे भी पड़ते है। इसके अलावा टैरिफ वार में अगर चीन ने इसके आयात पर रोक लगा दी तो देश में इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग पर संकट आ जाएगा।

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