कलक्टर को बताई पीड़ा
नवजात की मृत्यु के दो दिन बाद बस्ती के लोगों ने खोखरिया के आस-पास सड़क के किनारे दफना तो दिया, लेकिन पिता विक्रम सांसी ज्ञापन और कफन लेकर मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में चल रही जिला स्तरीय जनसुनवाई में पहुंच गया। उसने अपनी पीड़ा बताई तो कलक्टर ने अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मूल श्मशान छोटा होने के कारण लोग पहले बस्ती के पास ही एक स्थान पर नवजात की मौत होने पर दफनाते थे। कुछ वर्षों में इस स्थान पर रातानाडा थाना बन गया। उसके बाद एयरपोर्ट के पास एक स्थान पर यह कार्य किया जाता था। वह जगह भी एयरपोर्ट का विस्तार होने पर एयरपोर्ट की सीमा में आ गई। उसके बाद से ही लोग अपने मृत मासूम बच्चों को खुले स्थानों, सड़क किनारे दफनाने को मजबूर हैं।
कलक्टर के समक्ष रखी मांग
बिजलीघर या फिर पाबूपुरा के पास स्थित श्मशान भूमि में से एक भाग को स्थाई रूप से नवजात की मृत्यु होने के बाद दफन करने के लिए सुरक्षित किया जाए। मुझे इस बारे में ज्ञापन मिला है। नगर निगम को स्थान चिह्नित करने के लिए कहा गया है।
- गौरव अग्रवाल, कलक्टर, जोधपुर