वकील के चैंबर में कुर्सी बनी विवाद की वजह
पूरा मामला दोपहर 1 बजे के करीब का है। जानकारी के मुताबिक, रजनीकांत यादव अपने जमीन से जुड़े किसी कार्य के लिए तहसील पहुंचे थे। जब वे वकील के चैंबर में दाखिल हुए, उस वक्त वहां लल्ला यादव पहले से एक कुर्सी पर बैठे हुए थे। रजनीकांत ने कुर्सी खाली करने को कहा और इसी दौरान उन्होंने कथित तौर पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। इस बात पर लल्ला यादव भड़क उठे। दोनों के बीच चैंबर में ही गाली-गलौज शुरू हो गई, लेकिन वहां मौजूद वकीलों ने किसी तरह उन्हें बाहर निकालकर विवाद शांत कराया।
बाहर आते ही हुआ हमला, वीडियो वायरल
लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। वकील के चैंबर से निकलते ही बाहर एक बार फिर बहस छिड़ गई और इस बार लल्ला यादव ने रजनीकांत यादव का कॉलर पकड़ लिया और थप्पड़ों की बारिश कर दी। ये पूरा घटनाक्रम वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया और सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे रजनीकांत को थप्पड़ मारे गए और मौके पर मौजूद लोग बीच-बचाव करते नजर आए।
पुलिस को नहीं दी गई कोई शिकायत
अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है। वहीं, पुलिस का कहना है कि अगर किसी पक्ष की तरफ से तहरीर दी जाती है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
रजनीकांत यादव पर पहले से दर्ज हैं आपराधिक मामले
रजनीकांत यादव पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। उनकी पत्नी और भाई भी ब्लॉक प्रमुख के पद पर रह चुके हैं। उन पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। वहीं, लल्ला यादव कोई राजनीतिक पद नहीं रखते, लेकिन उनके भाई डीएम यादव एक बार रजनीकांत के खिलाफ जिला पंचायत चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तभी से दोनों पक्षों के बीच रंजिश चली आ रही है।
सपा जिलाध्यक्ष बोले- मामला पार्टी नेतृत्व तक पहुंचाएंगे
इस विवाद पर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष कलीम खां ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि रजनीकांत यादव और डीएम यादव दोनों ही पार्टी से जुड़े हैं, हालांकि डीएम यादव के पास फिलहाल कोई पद नहीं है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के संज्ञान में लाया जाएगा, और दोनों पक्षों को बैठाकर सुलह करवाई जाएगी।
सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी
दोनों पक्ष एक ही क्षेत्र जलालाबाद के रहने वाले हैं। रजनीकांत यादव का गांव तिलपई है जबकि लल्ला यादव का गांव खिवराजपुरवा है। दोनों गांवों के बीच महज 4 किलोमीटर की दूरी है, लेकिन आपसी रिश्तों में तल्खी इस कदर है कि छोटी-छोटी बातों पर विवाद हो जाता है। समाजवादी पार्टी में आपसी गुटबाजी कोई नई बात नहीं, लेकिन अब यह झगड़े सार्वजनिक जगहों पर पहुंचकर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कुर्सी पर बैठने की मामूली बात ने दो नेताओं की पुरानी दुश्मनी को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि पार्टी इस मामले में क्या रुख अपनाती है – कार्रवाई या समझौता?