परदेशी को शाम 5 बजे हालत गंभीर होने पर पर डॉक्टर द्वारा जबलपुर रेफर कर दिया गया। परिजन 108 एंबुलेंस से जबलपुर लेकर जा रहे थे। स्लीमनाबाद से पहले ही युवक ने दम तोड़ दिया। परिजन युवक की मौत को चिल्लाने लगे। एंबुलेंस स्टॉफ ने स्लीमनाबाद अस्पताल में भर्ती करने सलाह दी और स्लीमनाबाद स्वास्थ्य केंद्र में छोड़ दिया गया। यहां पर मौजूद डॉक्टर ने रात में कल्लू को मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम के लिए लाश अस्पताल के एक वार्ड में ही दूसरी लाश के साथ रखवा दी।
परिजनों का आरोप, भेज दिया जिला अस्पताल
मृतक के पिता शंकर कुम्हार, मां गीता बाई व बुआ का आरोप है कि स्लीमनाबाद अस्पताल के डॉक्टर ने सुबह कह दिया कि लाश को कटनी लेकर जाओ। उन्होंने किसी तरह 1200 रुपए एंबुलेंस की और लाश को लेकर वहां से कटनी रवाना हुए। जिला अस्पताल में साढ़े 11 बजे पहुंचे। युवक के मौत हो जाने की परिजनों ने ड्यूटी डॉक्टर को जानकारी दी।
जिला अस्पताल में कहा- स्लीमनाबाद में ही होगा पीएम
परिजनों का आरोप है कि जिला अस्पताल के डॉक्टर ने यह कह दिया कि मौत के बाद स्लीमनाबाद अस्पताल लेकर गए हो और वहां पर रात में लाश रखी थी तो वहीं पर पीएम कराना पड़ेगा। परिजन जिला अस्पताल चौकी पहुंचे और वहां पोस्टमार्टम कराने के लिए गुहार लगाई तो चौकी पुलिस ने कहा कि जबतक अस्पताल से तहरीर नहीं मिलेगी तो कैसे पीएम होगा। इसी बात को लेकर परिजन मर्चुरी में लाश रखकर परेशान होते रहे। यहां-वहां फोन कर मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन न तो डॉक्टर सुनकर राजी थे और ना ही पुलिस ध्यान दे रही थी।
जिला अस्पताल के डॉक्टर द्वारा पीएम करने से मना कर देने के बाद बेटे की लाश मर्चुरी में रखी होने से परेशान परिजन बिलख रहे थे। इस मामले में पत्रिका मृतक के परिजनों की आवाज बना। संपूर्ण घटनाक्रम से पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन को अवगत कराया, जिसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हुई। आनन-फानन में डॉक्टर ने चौकी तहरीर भेजी, जिसके बाद पंचनामा कार्रवाई, पीएम फॉर्म तैयार होते दोपहर 3 बज गया। लगभग 4 बजे तक पीएम हो पाया, जिसके बाद परिजन लाश को लेकर गांव रवाना हुए।
पत्रिका व्यू: आखिरी क्यों मर रहीं हैं संवेदनाएं…
यह घटनाक्रम पूरे सिस्टम को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। परिजनों द्वारा बेटे को बचाने के लिए बेहतर इलाज की गुहार लगाने की क्रुंदन कर रहे हैं तो वहीं बेटे को खो देने की पीड़ा दुख के किसी बड़े पहाड़ से कम नहीं है। इन सबके बीच सिस्टम की मरती संवेदनाएं बेहतर व्यवस्था के ताने-बाने को बयां कर रहीं हैं। स्लीमनाबाद अस्पताल में रातभर लाश को रखा जाना, फिर सुबह जिला अस्पताल भेज देना, इसके बाद जिला अस्पताल में पीएम के लिए दिनभर का इंतजार, सरकारी दावों की पोल खोल रहा है। ऐसे संवेदनहीनों पर सख्त कार्रवाई होना जरूरी है…।
किसी भी अस्पताल में जब व्यक्ति की असामान्य मौत हो जाती है उस परिस्थिति में पोस्टमार्टम कराना अनिवार्य हो जाता है। मौत होने की तहरीर स्वास्थ्य केंद्र संबंधित थाने व चौकी को देता है। इसके बाद पुलिस पंचनामा कार्रवाई करते हुए पीएफ फॉर्म भरने की प्रक्रिया करती है। इसके बाद फॉर्म संबंधित डॉक्टर को दिया जाता है, जिसके आधार पर शव का पोस्टमार्टम किया जाता है।
आत्महत्या का कारण अज्ञात
पिता शंकर कुम्हार ने बताया कि गजेंदा में बेटी की तबियत खराब थी तो पत्नी वहां चली गई थी। कल्लू ने बुधवार रात मेरे लिए रोटियां बनाईं, जिन्हें लेकर मैं खेत में तकवारी के लिए चला गया था। बेटे को कहकर गया था कि दरवाजा बंद करके सोना। बड़ा बेटा काम पर चला गया था। रात में 4 बजे जहर पीने की सूचना ग्रामीणों ने दी। पिता ने कहा कि कुछ पता ही नहीं चल पाया कि बेटे ने जहर क्यों खा लिया।
यह बात सही है कि जहां पर मौत हुई थी, वहां पर पोस्टमार्टम होना था। स्लीमनाबाद में क्यों पीएम नहीं कराया गया, यह पता लगाया जा रहा है। 1.30 बजे जैसे ही मुझे सूचना मिली, तो तत्काल तहरीर देकर जिला अस्पताल में पीएम की कार्रवाई शुरू कराई गई। इस मामले में कहां पर चूक हुई है इसकी जांच कराई जाएगी।
डॉ. मनीष मिश्रा, आरएमओ जिला अस्पताल।
युवक की रास्ते में ही मौत हो गई थी। मृतक के साथ माता-पिता एक महिला थी। लाश को रात में वार्ड में रखवा दिया गया था। तहरीर थाने में देने के लिए परिजनों को दी गई थी। परिजन कटनी में पीएम कराने के लिए कर रहे थे। शव को कब ले गए पता नहीं चला। थाना प्रभारी को भी मेरे द्वारा सूचना दी गई है।
डॉ. शिवम दुबे, स्लीमनाबाद अस्पताल।
परदेशी कुम्हार के मौत की तहरीर सुबह अस्पताल द्वारा नहीं दी गई थी, इसलिए पोस्टमार्टम के लिए पंचनामा, पीएम फॉर्म की प्रक्रिया नहीं हो पाई थी। दोपहर में डॉक्टर द्वारा तहरीर भेजी गई, जिसके बाद प्रक्रिया शुरू हुई। पीएम कराकर अंतिम संस्कार के लिए शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
रणदमन सिंह पोर्ते, चौकी प्रभारी जिला अस्पताल।