कोरबा जिले में सरकारी और निजी कार्यों में हर साल बड़े पैमाने पर रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे छोटे-बड़े भवन का निर्माण हो या कांक्रीट की सड़कों की ढलाई। हर जगह पर आजकल रेत का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी आपूर्ति नदी-नालों से होती है। कोरबा शहर में रेत की मांग को पूरा करने के लिए हसदेव नदी से मुख्यत: रेत खनन किया जाता है। इसके लिए हसदेव नदी के तट पर चारपारा और भिलाईखुर्द में दो रेत घाट संचालित हैं।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में 18 रेत घाटों का संचालन खनिज विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों के जरिए कराया जा रहा है। लेकिन वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही सभी जगहों पर रेत के खनन पर खनिज विभाग ने रोक लगा दिया है। इसके लिए विभाग की ओर से एक सूचना रेतघाट चलाने वाले सभी एजेंसियों को दी गई है। इसमें ग्राम पंचायतें प्रमुख हैं।
विभाग की ओर से बताया गया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत पूर्व की तरह इस साल भी 15 जून से 15 अक्टूबर तक जिले में रेत का खनन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। इस अवधि में किसी भी स्थान पर खनन किया जाता है तो उसे अवैध माना जाएगा और खनन और परिवहन से जुड़ी गाड़ियों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
ये रेत घाट हुए बंद
खनिज विभाग की ओर से बताया गया है कि कोरबा जिले में जिन 20 घाटों को बंद किया गया है उसमें शहर के भिलाईखुर्द और चारपारा के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कुदमुरा, बगदर, गितारी, भैसामुड़ा, कटबितला, तरदा, कुदुरमाल, बालकोनगर के पास स्थित चुईया के अलावा धंवईपुर, सिर्री, दुल्लापुर और बैराघाट के अलावा अन्य घाट शामिल हैं। इन घाटों से 15 अक्टूबर तक रेत खनन नहीं होगा। दो दिन में अवैध परिवहन के नौ मामले
इधर खनिज विभाग की टीम ने दो दिन में अवैध रेत परिवहन के 9 मामले में कार्रवाई की है। विभाग की ओर से बताया गया है कि जिन गाड़ियों को पकड़ा गया है उसमें ट्रैक्टर के अलावा टीपर भी शामिल हैं।
कोरबा जिल में बरमपुर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन लंबे अरसे से एक माफिया करता आया है। उस पर भी नजर रखी जा रही है।
भंडारण की आड़ में फिर रेत की अफरा-तफरी की तैयारी में माफिया
वर्षा ऋतु तक नदी-नालों से रेत का खनन नहीं हो सकेगा। लेकिन इस अवधि में रेत की कमी नहीं हो इसके लिए खनिज विभाग की ओर से कई लोगों को भंडारण लाइसेंस दिए गए हैं। इस लाइसेंस में उन्हें रेत के भंडारण की अनुमति दी गई है। बारिश के दिन में इसी भंडारण स्थल से विभिन्न गाड़ियों में रेत को भरकर खरीदारों तक पहुंचाया जाता है। इसी भंडारण स्थल की आड़ में हर साल कोरबा जिले में बड़े पैमारे पर रेत की कालाबाजारी होती है। रात के अंधेरे में रेत के कारोबार से जुड़े माफिया नदी-नालों से रेत को खोदते हैं और रातों-रात भंडारण स्थल पर डंप कर देते हैं। यहां से रेत उठाकर खरीदार को दे देते हैं। कई बार इस कार्य के लिए पुरानी रायल्टी पर्ची का सहारा लिया जाता है या गलत रायल्टी पर्ची इस्तेमाल की जाती है। पिछले साल भी जिले में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन और परिवहन बारिश के दौरान हुआ था। पूरे वर्षा ऋतु तक खनन माफिया ने नदी-नालों में ट्रैक्टर लगाकर बडे़ पैमाने पर रेत को खोदा था और इसे ऊंचे दाम पर बाजार में बेचा था। वर्षा ऋतु में रेत माफिया एक बार फिर अपने मंसूबों को अंजाम देने की तैयारी में लग गया है और माफिया जल्द ही रेत के दाम में भी बढ़ोतरी करने का इरादा संजोए हुआ है।
कोरबा जिले में स्थित सभी 20 रेत घाटों से खनन 15 अक्टूबर तक के लिए रोका गया है। इस संबंध में रेतघाट चलाने वाले पंचायतों को सूचना दी गई है। इसका उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। – प्रमोद नायक, उप संचालक खनिज