जिलेभर के नर्सिंग होम, निजी एवं शासकीय अस्पतालों में प्रतिदिन कई ऑपरेशन, सर्जरी और प्रसव होते हैं। अधिकांश में मरीज के लिए ब्लड की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके अलावा खून की कमी या एनीमिया के केस में ब्लड की जरूरत पड़ती है। जिला ब्लड बैंक के अलावा ज्यादातर मामलों में इसकी पूर्ति निजी संस्थाओं द्वारा संचालित ब्लड बैंकों से होती है। इनमें घंटाघर चौक स्थित बिलासा ब्लड बैंक काफी पुराना ब्लड बैंक है।
CG News: टीम को निरीक्षण के लिए बुलाने में भी रूचि नहीं
बावजूद इसके लाइसेंस नवीनीकरण की जरूरी प्रक्रिया बिना पूर्ण किए ही बेरोकटोक यहां से ब्लड मरीजों को दिए जा रहे हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बिलासा ब्लड बैंक की ओर से आवेदन किया गया है उस पर लाइसेंस नवीनीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। दूसरी ओर ब्लड बैंक प्रबंधन का कहना है कि उनकी ओर से 2023 में ही एप्लाई कर दिया गया था और उनकी ओर से किसी भी प्रकार की देरी नहीं की गई।
अलबत्ता केन्द्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण) खाद्य एवं औषधि प्रशासन नई दिल्ली द्वारा ही प्रक्रिया आगे बढ़ाने में लगातार विलंब किया जाता रहा। स्वास्थ्य विभाग अलग-अलग ब्लड बैंकों को संचालित करने के लिए लाइसेंस जारी करता है। यह लाइसेंस निर्धारित अवधि के लिए जारी होते हैं। इस अवधि में अगर
ब्लड बैंक की ओर से कोई गड़बड़ी हो जाती है तो उस पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करता है लेकिन बिलासा ब्लड बैंक के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होने से इस पर वर्तमान में शासन-प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। यह मरीजों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।
हर 5 साल में कराना होता है नवीनीकरण
ब्लड बैंक का संचालन खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है, इसकी पुष्टि करते हुए हर 5 साल में विधिवत निरीक्षण के बाद लाइसेंस नवीनीकरण किया जाता है। अफसरों की टीम समय-समय पर यहां निरीक्षण करती है और वे यह जांचते हैं कि यहां मानव के शरीर से खून निकालने वाली मशीनें ठीक तरह से चल रही है या नहीं। स्टरलाइज करने वाले संसाधन साफ सुथरे है या नहीं? इसके अलावा निरीक्षण के दौरान कई ऐसे बिंदु होते हैं जो महत्वपूर्ण होते हैं। ड्रग विभाग इसकी जांच हर माह करता है और इसकी रिपोर्ट उच्च
अधिकारियों भी भेजता है। वर्ष 2023 से निरीक्षण और जरूरी जांच कर लाइसेंस नवीनीकरण की यह प्रक्रिया लंबित है और ऐसे में बिलासा ब्लड बैंक की मौजूदा व्यवस्था कैसी है, यह जानने किसी में रुचि नहीं।
कोरबा के बिलासा ब्लड बैंक के अलावा प्रदेशभर के कुल 10 ब्लड बैंक के लाइसेंस एक्सपायर्ड हो चुके हैं। खास बात यह है कि इस लिस्ट में जिला अस्पताल ब्लड बैंक, गरियाबंद का नाम भी शामिल है। इसी माह 16 मई को इस संबंध में खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़, नवा रायपुर के नियंत्रक दीपक कुमार अग्रवाल ने एक पत्र डीआर. राजीव सिंह रघुवंशी औषधि महानियंत्रक भारत (केन्द्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण) खाद्य एवं औषधि प्रशासन भवन कोटला रोड, नई दिल्ली को पत्र भी लिखा है।
जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग हुआ मौन
इसमें श्री अग्रवाल ने निवेदन किया है कि छत्तीसगढ़ के इन दस ब्लड बैंकों का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो जाने संबंधी फाइलों को ऑफलाइन मोड के माध्यम से विचार करने या सीडैक को पोर्टल खोलने का आदेश जारी करने आग्रह किया गया है। पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि फर्मों ने निर्धारित समय के भीतर ऑफ़लाइन मोड के माध्यम से नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। उन्होंने ओएनडीएलएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने का बहुत प्रयास किया, पर वे ऐसा नहीं कर सके। सीडैक टीम से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मामले को आपके कार्यालय तक पहुंचाएं। अत: इन ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण आवेदन को ऑफलाइन माध्यम से करने पर विचार करें अथवा सीडैक टीम को ओएनडीएलएस पोर्टल खोलने का आदेश दें, ताकि समाप्त हो चुके लाइसेंसों के लिए आवेदन किया जा सके।
जांच करने नहीं पहुंचे जिम्मेदार
कोरबा के सहायक औषधि नियंत्रक भीष्मदेव सिंह कंवर ने कहा की पांच साल में एक बार विधिवत इनस्पेक्शन और अन्य विधि के जरिए पुन: पांच वर्ष के लिए यह जारी किया जाता है। यह काफी पेचीदा प्रक्रिया होती है, जिसमें वक्त लगता है। कोरबा जिले में केवल बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो चुका है और उसके नवीनीकरण के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार आवेदन भी कर दिया गया है और उसकी प्रक्रिया जारी है। लाइसेंस कब से एस्पायर्ड है, इसकी जानकारी कार्यालय में देखकर ही बता सकूंगा। बिलासा ब्लड बैंक प्रभारी डॉ मिथलेश प्रसाद ने कहा की कोरबा हमारी ओर से समय पर
लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। पर दिल्ली से ही लगातार विलंब किया जाता रहा। इस संबंध में प्रक्रिया जारी है और यह समस्या सिर्फ बिलासा की ही नहीं, बल्कि एक सरकारी ब्लड बैंक समेत प्रदेशभर के 10 ब्लड बैंक परेशान हैं। उम्मीद है कि जल्द ही प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी।
सीएमएचओ कोरबा एसएन ने कहा की बिना लाइसेंस ब्लड बैंक को नहीं चलना चाहिए। यदि चल रहा है तो यह गंभीर मामला है। ब्लड बैंक को संचालित करने के लिए लाइसेंस राज्य सरकार से आने वाली टीम देती है। इसमें हमारा बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं होता।
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