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Kota: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के गृह जिले में ‘जुगाड़’ पर चल रहे स्कूल, घोषणाएं आज भी अधूरी

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर खुद रामगंजमंडी क्षेत्र के विधायक भी हैं और उन्होंने पहले नए स्कूल भवनों के निर्माण की घोषणाएं की थी, लेकिन ये घोषणाएं आज भी अधूरी ही है।

कोटाJul 10, 2025 / 01:58 pm

Akshita Deora

KDA की दुकानों में संचालित हो रहा स्कूल (फोटो: पत्रिका)

शिक्षा मंत्री के गृह जिले कोटा में कई सरकारी स्कूल आज भी कियोस्क, सामुदायिक भवन व अस्थायी ठिकानों में संचालित हो रहे हैं, जहां न तो आधारभूत ढांचा है और न ही बच्चों के लिए अनुकूल शैक्षणिक वातावरण।

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शिक्षा मंत्री मदन दिलावर खुद रामगंजमंडी क्षेत्र के विधायक भी हैं और उन्होंने पहले नए स्कूल भवनों के निर्माण की घोषणाएं की थी, लेकिन ये घोषणाएं आज भी अधूरी ही है। स्कूल भूमि विहीन होने के कारण उन्हें कियोस्क, सामुदायिक भवन व अन्य जुगाड़ से व्यवस्था कर चलाना पड़ रहा है।
इन स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों के लिए बैठने की पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं है। ऐसे में कक्षा-कक्ष की कमी के कारण 1 से 12वीं तक कक्षाओं को एक या दो कमरों में ही संचालित करना पड़ रहा है। इससे उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। बारिश के दिनों में कक्षाएं बाधित हो जाती हैं।
स्थानीय लोगों और शिक्षकों की मानें तो शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में ही इस तरह की हालत होना गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।

अब सवाल यह है कि जब मंत्रीजी अपने ही क्षेत्र की तस्वीर नहीं संवार सके, तो प्रदेशभर के स्कूलों की दशा में कैसे सुधार आएगा? जरूरत केवल घोषणाओं की नहीं, ठोस जमीनी कार्यवाही की है, ताकि स्कूल वास्तव में ‘संवारे’ जा सकें।

भूमि आवंटन के प्रयास कर रहे

भूमि वीहिन स्कूलों के जमीन आवंटन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी फाइलें तैयार कर केडीए को भिजवा रखी है। जमीन आवंटन केडीए से ही हो सकेगा।
रूपेश कुमार, एडीपीसी, समसा

यूआईटी के कियोस्क में स्कूल

शहर के बरड़ा बस्ती क्षेत्र में संचालित राजकीय प्राथमिक विद्यालय का हाल बेहद चिंताजनक है। इस स्कूल का कोई स्थायी भवन नहीं है। वर्तमान में यह यूआईटी के कियोस्क में तीन छोटे कमरों में चल रहा है। इनमें से दो कमरे कक्षाओं के लिए हैं जबकि एक शिक्षक कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाई होती है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। बच्चों के पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। शौचालय तो बने हैं, लेकिन उनमें पानी उपलब्ध नहीं है। शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। कई बार आसपास के स्कूलों से अस्थायी रूप से शिक्षक बुलाकर पढ़ाई करवाई जाती है। स्थानीय पार्षद की पहल पर पास की खाली जमीन पर लोहे की चद्दर डालकर कुछ जगह तैयार की गई है, लेकिन वह भी केवल अस्थायी राहत है।

सामुदायिक भवन में 23 साल से स्कूल

सूरसागर क्षेत्र में राजकीय प्राथमिक विद्यालय वर्ष 2001 से नगर निगम के सामुदायिक भवन में संचालित हो रहा है। दो दशकों से अधिक बीत जाने के बावजूद इस स्कूल का अपना भवन नहीं बन पाया है। शुरुआत में यह स्कूल एक मंदिर परिसर में चलता था, लेकिन बाद में नगर निगम ने सामुदायिक भवन की दो कमरे की जगह पढ़ाई के लिए उपलब्ध करवाई। वर्तमान में एक ही कमरे में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है, जबकि दूसरे कमरे में शिक्षक का कार्य और मिड-डे मील (पोषाहार) का संचालन होता है। स्कूल में 50 से अधिक बच्चों का नामांकन है, लेकिन शिक्षकों की संख्या भी पूरी नहीं है। मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। न खेलकूद का स्थान, न ही पीने के पानी या साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था है। स्थानीय लोगों व शिक्षकों की ओर से कई बार भवन निर्माण की मांग उठाई जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि स्थायी भवन और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों, तो यहां और अधिक बच्चों का नामांकन संभव है।

इधर, अखाड़े में हो रही पढ़ाई

किशोरपुरा क्षेत्र में स्थित राजकीय सीनियर सैकंडरी विद्यालय वर्षों से जेठियों के अखाड़े की जमीन पर संचालित हो रहा है। विद्यालय के पास न तो अपना भवन है और न ही पर्याप्त कक्षा-कक्ष। यहां कक्षा 1 से 12वीं तक की पढ़ाई होती है, लेकिन जगह के अभाव में पढ़ाई खुले चौक में टीनशेड डालकर करवाई जा रही है। शिक्षकों की संख्या फिलहाल संतोषजनक है, लेकिन संसाधनों की भारी कमी है। टीनशेड के नीचे डिवाइड कर अलग-अलग कक्षाएं चलाई जाती हैं। इससे न केवल शिक्षण कार्य प्रभावित होता है, बल्कि बच्चों के बैठने, पढ़ने और गर्मी-बरसात से बचाव की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। विद्यालय में वर्तमान में 200 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। भवन निर्माण को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने प्रयास किए, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह स्कूल इस बात का उदाहरण है कि संसाधनों के बिना भी शिक्षा की अलख तो जगी है, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण बुनियादी ज़रूरतें अब तक अधूरी हैं। यदि स्थायी भवन मिल जाए तो यहां की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है।

1057 स्कूल कोटा जिले में

02 लाख स्टूडेंट्स नामांकित

10 स्कूल कोटा में भवन वीहिन

कोटा में यह भूमि विहीन स्कूल

शिवनगर रोझडी संस्कृत स्कूल

किशोरपुरा जेठियां का अखाड़ा

गिरधरपुरा सुमन कॉलोनी स्कूल
सूरसागर

वार्ड 33 बरड़ा बस्ती

नांता महल कुन्हाड़ी

चितौड़ा का नोहरा

चन्द्रघटा स्कूल

सूर्यनगर स्कूल

गर्ल्स यूपीएस रानपुर

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