इनकी 62 हजार 853 सीटों पर प्रवेश होगा। जिन विद्यार्थियों को सीट आवंटित की जाएगी, उन्हें अपनी ‘इनिशियल सीट अलॉटमेंट इनफॉरमेशन स्लिप’ डाउनलोड करनी होगी और ऑनलाइन रिपोर्टिंग की प्रक्रिया समय पर पूर्ण करनी अनिवार्य होगी, अन्यथा वे न केवल आवंटित सीट से वंचित रह जाएंगे, बल्कि जोसा की संपूर्ण काउंसलिंग प्रक्रिया से भी बाहर हो जाएंगे।
ऑनलाइन रिपोर्टिंग की प्रक्रिया तीन चरणों में सीट असेप्टेंस दस्तावेजों की अपलोडिंग सीट असेप्टेंस फीस का भुगतान एक का करना होगा चयन सीट असेप्टेंस के दौरान विद्यार्थियों को फ्रीज, फ्लोट अथवा स्लाइड विकल्पों में से किसी एक का चयन करना होगा। इसके पश्चात, ‘इनिशियल सीट अलॉटमेंट इनफॉरमेशन स्लिप’ एवं बिजनेस रूल्स के अनुसार निर्धारित दस्तावेज अपलोड करने होंगे। विशेष ध्यान देना यह जरूरी है कि आईआईटी एवं एनआईटी-प्लस समूह के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची अलग-अलग होती है।
सीट असेप्टेंस फीस: कितनी और क्यों? विद्यार्थियों को यह जानना जरूरी है कि सीट-असेप्टेंस फीस में 5000 रुपए जोसा प्रोसेसिंग चार्ज शामिल होता है। बाकी राशि भविष्य में आवंटित संस्थान की एडमिशन फीस में समायोजित हो जाएगी। एससी, एसटी, दिव्यांग वर्ग के लिए 15,000, अन्य सभी श्रेणियों के लिए 30,000 रुपए है। फीस का भुगतान किसी भी ऑनलाइन बैंकिंग माध्यम से किया जा सकता है।
फ्रीज, फ्लोट और स्लाइड: क्या है अंतर? फ्रीज: जब विद्यार्थी आवंटित सीट से पूर्णतः संतुष्ट हो और आगे किसी अन्य सीट के लिए काउंसलिंग में भाग नहीं लेना चाहता।फ्लोट: जब विद्यार्थी आवंटित सीट को अस्थायी रूप से स्वीकार कर लेता है, लेकिन अगले राउंड्स में किसी बेहतर संस्थान की सीट के लिए अवसर बनाए रखना चाहता है।
स्लाइड: जब विद्यार्थी संस्थान से तो संतुष्ट होता है, लेकिन उसी संस्थान में बेहतर ब्रांच की चाह रखता है। सावधानी बरतें, भ्रांतियों से बचें एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि कई विद्यार्थी एवं अभिभावक सीट-असेप्टेंस फीस को लेकर भ्रमित रहते हैं। यह जानना आवश्यक है कि 5000 की प्रोसेसिंग फीस काटने के बाद शेष राशि संस्थान की शुल्क में समायोजित हो जाएगी। रिपोर्टिंग की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर लापरवाही विद्यार्थियों को प्रवेश प्रक्रिया से बाहर कर सकती है।