पिछले 5 वर्षों में क्या रहा प्रदर्शन वर्ष कम से कम प्रतिशत अंक न ला पाने वाले विद्यार्थी 2021 7.74 लाख (19.16%) से कम अंक 2022 8.83 लाख (16.25%) से कम अंक
2023 10.24 लाख (19.02%) से कम अंक 2024 11.68 लाख (22.5%) से कम अंक 2025 11.08 लाख (20%) से कम अंक शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा के अनुसार, विज्ञान जैसे प्रायोगिक विषयों में बोर्ड परीक्षाओं में अधिकतम अंक देने की प्रवृत्ति और मौलिक ज्ञान के अभाव ने इस स्थिति को जन्म दिया है। सीबीएसई एवं अन्य बोर्ड्स में प्रायोगिक विषयों में 30% तक अंक निर्धारित हैं और व्यावसायिक स्कूलिंग के चलते इन अंकों में निष्पक्षता की भारी कमी देखी जाती है। नीट यूजी 2025 के परिणाम दर्शाते हैं कि अब केवल स्कूली परीक्षाओं में अंक लाना ही पर्याप्त नहीं है। जब तक बुनियादी विषय ज्ञान, समझ और तार्किकता को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक लाखों विद्यार्थी हर साल ऐसे ही प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होते रहेंगे।
आवश्यक सुधार की जरूरत प्रायोगिक अंकों पर पुनर्विचार हो। सैद्धांतिक परीक्षाओं का वेटेज बढ़ाया जाए। सीनियर सेकेंडरी स्तर पर विज्ञान की नींव मजबूत करने की दिशा में नीति बने।