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वन्यजीवों और मानव के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए सरकार ने दक्षिण वन प्रभाग में इस विशेष टीम का गठन किया है, जो आधुनिक उपकरणों से लैस होगी और 24×7 निगरानी करेगी।
RRF टीम क्यों बनाई गई?
लखीमपुर खीरी और आसपास के वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, जंगलों के सिमटने और इंसानी बस्तियों के विस्तार के कारण बाघों और इंसानों के बीच टकराव के मामले भी बढ़े हैं।बीते कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं:
- बाघों का बस्तियों में घुसना और मवेशियों का शिकार करना।
- शिकारियों द्वारा बाघों का शिकार और वन्यजीवों के अंगों की तस्करी।
- बाघों के हमलों में इंसानों की मौतें।
- इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए वन विभाग ने RRF टीम को प्रशिक्षित किया है, जो जरूरत पड़ने पर बाघों को सुरक्षित स्थान पर रेस्क्यू करने का काम करेगी।

RRF टीम की कार्यप्रणाली
- RRF टीम को हाईटेक उपकरणों और विशेष प्रशिक्षण से लैस किया गया है।
- ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल कर जंगलों की निगरानी की जाएगी।
- रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ट्रैंक्विलाइज़र गन और अन्य उपकरण दिए गए हैं।
- वन्यजीव अपराधियों पर कार्रवाई करने के लिए टीम को पुलिस के साथ समन्वय करना होगा।
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वन विभाग के अधिकारी आशीष तिवारी ने बताया कि “यह टीम बाघों की सुरक्षा के साथ-साथ ग्रामीणों को जागरूक करने का भी काम करेगी, जिससे टकराव की घटनाओं को कम किया जा सके।”
बाघों की सुरक्षा के लिए उठाए गए अन्य कदम
- वन्यजीव कॉरिडोर की सुरक्षा – बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
- CCTV कैमरों की निगरानी – जंगलों में अवैध घुसपैठ और शिकार पर नजर रखने के लिए।
- स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण – ग्रामीणों को बताया जाएगा कि बाघों के हमलों से कैसे बचा जाए।
उत्तर प्रदेश में बाघों की स्थिति
- दुधवा टाइगर रिजर्व – उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है।
- बाघों की संख्या में वृद्धि – हाल के वर्षों में बाघों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।
- मानव-बाघ संघर्ष बढ़ा – जंगलों के कटने और इंसानों के दखल के कारण टकराव के मामले बढ़े हैं।