मोबाइल जैसे गैजेट्स बच्चों की आंखों के लिए कितना खतरनाक? हर पेरेंट्स को पता होनी चाहिए ये अहम बातें
Bad Effects of Mobile Phones on Children: आइए जानते हैं कि ये गैजेट्स बच्चों की आंखों के लिए कितने खतरनाक हैं और माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Bad Effects of Mobile Phones on Children: आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन, टैबलेट और लैपटॉप जैसे गैजेट्स बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक बच्चे इन उपकरणों पर घंटों समय बिताते हैं। हालांकि इन गैजेट्स हमारा काम आसान हो जाता है लेकिन इनका ज्यादा उपयोग बच्चों की आंखों और पूरे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
स्क्रीन टाइम की बढ़ती आदत बच्चों में आंखों की समस्याओं को तेजी से बढ़ा रही हैं। खासकर मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) और डिजिटल आई स्ट्रेन जैसी बीमारियां जन्म ले रही हैं। आइए जानते हैं कि ये गैजेट्स बच्चों की आंखों के लिए कितने खतरनाक हैं और माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मोबाइल देखने से बच्चों की आंखों पर क्या असर होता है?
आंखों में थकान और सूखापन – लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखें थक जाती हैं। स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने के दौरान बच्चे कम पलकें झपकाते हैं जिससे आंखों में नमी कम हो जाती है। इससे आंखों में जलन सूखापन और कभी-कभी दर्द की शिकायत हो सकती है। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन भी कहा जाता है।
मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) का खतरा – छोटी उम्र में ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों में मायोपिया का कारण बन सकता है जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर लंबे समय तक ध्यान लगाने से आंखों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है। कई शोध बताते हैं कि मायोपिया के मामले बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका एक बड़ा कारण गैजेट्स का अधिक उपयोग है।
ब्लू लाइट के नुकसान – मोबाइल और टैबलेट स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए हानिकारक होती है। यह रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से दृष्टि संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। रात में मोबाइल का उपयोग नींद को भी प्रभावित करता है क्योंकि ब्लू लाइट दिमाग को सक्रिय रखती है और नींद के चक्र को बिगाड़ देती है।
छोटी उम्र में चश्मे की जरूरत – गैजेट्स के अधिक यूज के कारण छोटे बच्चों को भी चश्मे की जरूरत पड़ रही है। स्क्रीन की तेज रोशनी और लगातार उस पर ध्यान केंद्रित करने से आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है जिससे कम उम्र में ही दृष्टि दोष की समस्या शुरू हो जाती है।
मोबाइल गैजेट्स के अन्य नुकसान
एकाग्रता में कमी – ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की एकाग्रता और सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है। वे जल्दी बोर हो जाते हैं और पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते।
शारीरिक गतिविधियों में कमी – मोबाइल की लत के कारण बच्चे बाहर खेलने या शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से कतराते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास प्रभावित होता है। नींद की समस्या – रात में मोबाइल का उपयोग नींद की गुणवत्ता को खराब करता है जिससे बच्चे सुबह थके हुए और चिड़चिड़े रहते हैं।
बच्चे की आंखों को मोबाइल स्क्रीन से कैसे बचाएं?
माता-पिता के लिए जरूरी सुझाव – माता-पिता बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखने और गैजेट्स के नुकसान से बचाने के लिए नीचे बताये गए उपाय अपना सकते हैं।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें – बच्चों का स्क्रीन टाइम प्रतिदिन 1-2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए। छोटे बच्चों (2 साल से कम) को मोबाइल या टैबलेट से पूरी तरह दूर रखें। स्कूल के बाद पढ़ाई और खेल के लिए समय निर्धारित करें ताकि गैजेट्स का उपयोग कम हो।
20-20-20 नियम अपनाएं – हर 20 मिनट में बच्चों को 20 सेकंड का ब्रेक लेने के लिए कहें जिसमें वे 20 मीटर दूर की किसी चीज को देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है और थकान कम होती है।
सही दूरी और रोशनी का ध्यान रखें – मोबाइल और आंखों के बीच कम से कम 25-30 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। स्क्रीन की चमक को कम करें और अंधेरे में मोबाइल का उपयोग न करने दें। कमरे में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए ताकि आंखों पर जोर न पड़े।
ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग – मोबाइल में ब्लू लाइट फिल्टर सेटिंग्स चालू करें। अगर बच्चा ज्यादा देर स्क्रीन का उपयोग करता है तो ब्लू लाइट ब्लॉकिंग चश्मे का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें – बच्चों को रोजाना कम से कम 1-2 घंटे बाहर खेलने या प्रकृति के बीच समय बिताने के लिए प्रेरित करें। इससे उनकी आंखें स्वस्थ रहती हैं और मायोपिया का खतरा कम होता है।
नियमित आंखों की जांच – हर 6-12 महीने में बच्चों की आंखों की जांच करवाएं खासकर अगर वे गैजेट्स का नियमित उपयोग करते हैं। शुरुआती जांच से समस्याओं को समय पर पकड़ा और ठीक किया जा सकता है।
गैजेट-मुक्त समय बनाएं – घर में कुछ घंटे ऐसे रखें जब कोई भी गैजेट का उपयोग न करे। खाने की मेज पर या सोने से पहले मोबाइल का उपयोग पूरी तरह बंद करें। Disclaimer:यह आर्टिकल सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें।