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लखनऊ

जन्म लेते ही कचरे में फेंक गए थे मां-बाप, अमेरिकी CEO ने अपनाया, ऐसे खुली विनायक की किस्मत

तीन साल पहले लखनऊ में कचरे के ढेर में रोते हुए मिले नवजात विनायक की जिंदगी ने एक असाधारण मोड़ ले लिया है। जिस बच्चे को किसी ने कचरे में छोड़ दिया था अब वह अमेरिका में पलेगा। एक एनआरआई दंपति ने विनायक को गोद लिया है और अब वह एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

लखनऊJan 07, 2025 / 04:45 pm

Prateek Pandey

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तीन साल पहले लखनऊ की गलियों में एक कचरे के ढेर से बच्चे के रोने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग हैरान रह गए। उन्होंने नवजात को उठाकर शिशु संरक्षण गृह पहुंचाया। प्रशासन ने बच्चे के माता-पिता को खोजने के हरसंभव प्रयास किए, लेकिन कोई पता नहीं चला। शिशु संरक्षण गृह में उसका नाम “विनायक” रखा गया जो भगवान गणपति का पर्याय है।

दूसरी संतान के रूप में एक अनाथ बच्चे को अपनाने का था प्लान

एनआरआई दंपति, जिनमें से पति अमेरिका की एक बड़ी कंपनी के सीईओ हैं, ने विनायक को गोद लेने का फैसला किया। उनके पास पहले से एक बेटा है, लेकिन उन्होंने तय किया कि वे अपनी दूसरी संतान के रूप में एक अनाथ बच्चे को अपनाएंगे। इस फैसले के पीछे उनका उद्देश्य था कि वे एक अनाथ बच्चे को न केवल माता-पिता का प्यार दें, बल्कि उसे एक सुनहरा भविष्य भी प्रदान करें।

गोद लेने की प्रक्रिया पूरी

डीपीओ राजेश कुमार के मुताबिक, दंपति ने सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। बच्चे का पासपोर्ट बन चुका है, और अब वह जल्द ही अमेरिका रवाना होगा। विनायक को गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान दंपति कई बार लखनऊ आए। उनकी इस प्रतिबद्धता ने साबित कर दिया कि वे बच्चे को अपनाने और उसकी परवरिश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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एनआरआई दंपति ने प्रशासन को बताया कि उनके पास एक और बच्चा करने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने एक अनाथ बच्चे को अपनाने का फैसला किया। उनका मानना है कि इस दुनिया में कई बच्चे हैं जो मां-बाप के प्यार और बेहतर भविष्य के हकदार हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने विनायक को अपनाने का फैसला किया।

विनायक का नया सफर

अगले सप्ताह विनायक अपने नए माता-पिता के साथ अमेरिका रवाना हो जाएगा। एक ऐसे बच्चे की कहानी जो कभी कचरे के ढेर में मिला था अब एक प्रेरणादायक यात्रा बन चुकी है। यह न केवल विनायक की किस्मत बदलने की कहानी है बल्कि यह उस एनआरआई दंपति की मानवीयता और उदारता का भी उदाहरण है।

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