जानें क्या था मामला
जानकारी के अनुसार, जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें रितेश कुमार बरनवाल और मनीष कुमार शामिल हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। रितेश कुमार रायबरेली जिले में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात थे, जबकि मनीष कुमार उपायुक्त थे। इनके साथ ही, संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) देवेंद्र सिंह की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं, क्योंकि उनके खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ‘राजधानी इंटरप्राइजेज कंपनी’ नामक एक बोगस फर्म को 10.76 करोड़ रुपये की फर्जी IGST-ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) अग्रेषित करने में मदद की। इस मिलीभगत के कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। देवेंद्र सिंह पर विशेष रूप से यह आरोप है कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने न तो राज्य कर मुख्यालय को सूचित किया और न ही कोई त्वरित कार्रवाई की।
एक महीने में जांच करने के आदेश
इस गंभीर मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर आयुक्त सैमुअल पाल एन को सौंपी गई है। विभाग के विशेष सचिव श्याम प्रकाश नारायण की ओर से इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी जारी कर दिया गया है। जांच के लिए एक महीने की समय-सीमा तय की गई है, और देवेंद्र सिंह को इस अवधि में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। निलंबन की अवधि के दौरान, रितेश कुमार और मनीष कुमार को संयुक्त आयुक्त, राज्य कर कार्यालय बांदा से संबद्ध किया गया है। यह कार्रवाई योगी सरकार के उस स्पष्ट संदेश को रेखांकित करती है कि वित्तीय अनियमितताओं और अधिकारियों की लापरवाही के प्रति किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में सुशासन और पारदर्शिता उनकी प्राथमिकता है।