कल रिटायर हुए 15 अफसर: प्रशासनिक ढांचे में रिक्तियां
30 जून 2025 को यूपी के चार आईएएस और 11 पीसीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए। - इनमें प्रमुख नाम हैं:
- 1.जितेंद्र कुमार, अपर मुख्य सचिव (सामान्य प्रशासन)
- 2.अखिलेश कुमार मिश्रा
- 3.बृजराज सिंह यादव
- 4.सुरेंद्र प्रसाद सिंह
इनके अलावा, 11 पीसीएस अफसरों की सेवानिवृत्ति ने जिला प्रशासन, विकास विभाग और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रिक्तियां पैदा कर दी हैं। इसका सीधा असर उन योजनाओं और कार्यक्रमों पर पड़ेगा, जिनकी निगरानी यह अधिकारी कर रहे थे। इसलिए सरकार अब नई नियुक्तियों और स्थानांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने जा रही है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह भी जुलाई में लेंगे विदाई
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह भी इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मनोज कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के सबसे अनुभवी और भरोसेमंद अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं। उन्होंने विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट कार्य किया और शासन की कई प्रमुख योजनाओं को अमलीजामा पहनाया। अब उनकी विदाई के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि नया मुख्य सचिव कौन बनेगा। सूत्रों के अनुसार सरकार वरिष्ठता, अनुभव और प्रशासनिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए ही चयन करेगी।
सेवा विस्तार पर लगी रोक, अरुणेश सिंह को हटाया गया
आईएएस अरुणेश सिंह, जिन्हें अब तक सात बार सेवा विस्तार मिला था, को सरकार ने इस बार सेवा विस्तार देने से इनकार कर दिया है। उनकी जगह राकेश कुमार सिंह को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) का नया प्रबंध निदेशक बनाया गया है। यह बदलाव भी इस बात का संकेत है कि योगी सरकार अब “सेवा विस्तार” की नीति पर पुनर्विचार कर रही है और युवा व सक्रिय अफसरों को प्रमुख जिम्मेदारी देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
जनवरी-जून में हुए बड़े पैमाने पर तबादले
- इस साल जनवरी से जून तक यूपी सरकार ने प्रशासनिक पुनर्गठन की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
- जनवरी में 46 आईएएस अधिकारियों का तबादला
- जून में रिकॉर्ड 127 पीसीएस अफसरों का तबादला
यह आंकड़ा किसी एक महीने में हुए तबादलों में सबसे बड़ा है। सरकार का उद्देश्य जमीनी स्तर पर प्रशासन को सक्रिय करना, योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत बनाना और कानून-व्यवस्था में सुधार लाना रहा है।
नई नियुक्तियों की सूची तैयार
इन रिटायरमेंट्स के बाद अब सरकार की प्राथमिकता रिक्त पदों पर योग्य अफसरों की नियुक्ति करना है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय और कार्मिक विभाग में उन आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है, जिन्हें नई जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। इसमें उन अफसरों को भी हटाया जा सकता है, जो वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात हैं और जिनके प्रदर्शन पर सवाल उठे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार अब “परिणाम आधारित प्रशासन” की ओर बढ़ रही है। ब्यूरोक्रेसी में नई ऊर्जा का संचार होगा
प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई में हो रहे ये परिवर्तन ब्यूरोक्रेसी को नई दिशा देंगे। एक ओर जहां अनुभवी अफसरों की विदाई से प्रशासन को रणनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर नए अफसरों की तैनाती से नई सोच और कार्यशैली भी व्यवस्था में प्रवेश करेगी।
योगी सरकार बार-बार यह दोहराती रही है कि वह ब्यूरोक्रेसी में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता को बढ़ावा देना चाहती है। इस दिशा में सेवा विस्तार रोकना, वर्षों से जमे अफसरों को हटाना और मेरिट के आधार पर पोस्टिंग देना एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
बदलाव की शुरुआत
जुलाई 2025 यूपी प्रशासन में बदलाव की एक नई शुरुआत का संकेत दे रहा है। मुख्य सचिव की विदाई से लेकर नए अफसरों की नियुक्ति तक, हर फैसला प्रशासनिक कार्यशैली और नीतियों पर प्रभाव डालेगा। जनता की उम्मीद है कि इन बदलावों से शासन और सेवा वितरण प्रणाली और प्रभावशाली व सुचारु होगी।