scriptनवजात शिशु गायब होने पर फौरन रद्द कर दिया जाएगा अस्पताल का लाइसेंस, बाल तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त | If a newborn goes missing, the hospital license will be canceled immediately; Supreme Court is strict on child trafficking: If a newborn goes missing, the hospital license will be canceled | Patrika News
लखनऊ

नवजात शिशु गायब होने पर फौरन रद्द कर दिया जाएगा अस्पताल का लाइसेंस, बाल तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

Supreme Court: बाल तस्करी के मामलों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इनसे निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि अगर अस्पताल से नवजात गायब होते हैं तो अस्पताल का लाइसेंस फौरन रद्द कर दिया जाना चाहिए। दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन में किसी भी तरह की ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा और इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

लखनऊApr 16, 2025 / 08:28 am

Aman Pandey

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उत्तर प्रदेश के बाल तस्करी के एक मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने इस मामले से निपटने के तरीकों पर उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को फटकार लगाई।

जमानत देते समय हाईकोर्ट को लगानी चाहिए थी शर्त

पीठ ने कहा कि आरोपी दंपती बेटा चाहते थे। उन्होंने चार लाख रुपए में बच्चा खरीद लिया। वे जानते थे कि बच्चा चोरी कर लाया गया। पीठ ने कहा, हाईकोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर संवेदनहीनता से कार्रवाई की। इसके कारण आरोपी फरार हो गए। ऐसे आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। जमानत देते समय हाईकोर्ट को कम से कम यह शर्त लगानी ही चाहिए थी कि आरोपी हर हफ्ते थाने में हाजिरी देंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार को लगाई फटकार

उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम निराश हैं। जमानत के बाद सरकार की ओर से कोई अपील क्यों नहीं की गई? कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सभी आरोपियों को निचली अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया। साथ ही वाराणसी के सीजेएम और एसीजेएम को निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर सत्र अदालत में मामला दायर किया जाए। इसके बाद एक सप्ताह के भीतर आरोप पत्र पेश किया जाए।
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गाइडलाइन : लंबित मुकदमे छह महीने में निपटाए जाएं

1. कोई महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने आती है और वहां से बच्चा चोरी हो जाता है तो सबसे पहला कदम अस्पताल का लाइसेंस रद्द करना होना चाहिए।
2. सभी हाईकोर्ट निचली अदालतों में बाल तस्करी के लंबित मुकदमों के बारे में जानकारी लें। इन अदालतों को रोजाना सुनवाई कर मुकदमों को छह महीने में निपटाने के निर्देश दिए जाएं।
3. राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट की विस्तृत सिफारिशों पर गौर कर इन्हें यथाशीघ्र लागू करें।
4. दिल्ली पुलिस बाल तस्करी में शामिल गिरोहों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करे।

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