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नगर निगम की फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की कवायद
नगर निगम प्रशासन द्वारा हाल के वर्षों में अफसरों के लिए महंगी गाड़ियां खरीदी गई थीं, जिससे नगर निगम का बजट प्रभावित हो रहा था। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक अहम फैसला लिया और तत्काल प्रभाव से लग्जरी गाड़ियों को हटाने का आदेश जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी धन का सही उपयोग होना चाहिए और अनावश्यक खर्चों को रोकना उनकी प्राथमिकता है।क्यों लिया गया यह फैसला
- नगर निगम के बजट पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए।
- सरकारी खर्चों में पारदर्शिता और मितव्ययिता लाने के लिए।
- जरूरतमंद क्षेत्रों में बजट का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए।
- नगर निगम के फील्ड अफसरों के लिए अधिक उपयुक्त वाहनों की उपलब्धता।

फैसले का असर और प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद शहर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। नगर निगम के कई अधिकारियों ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है, वहीं कुछ अधिकारियों को इस बदलाव से असुविधा हो सकती है। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है: “हमारा उद्देश्य नगर निगम के संसाधनों का सही इस्तेमाल करना है। लग्जरी गाड़ियों से कोई अतिरिक्त कार्य नहीं हो रहा था, बल्कि यह निगम के खर्चे को बढ़ा रही थीं। अब अफसरों को बोलेरो मिलेगी, जो ज्यादा व्यावहारिक और किफायती विकल्प है।” यह भी पढ़ें
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महंगी गाड़ियों की जगह बोलेरो क्यों
- बोलेरो को नगर निगम के अफसरों के लिए चुना गया है क्योंकि:
- कम खर्चीली और ईंधन दक्षता में बेहतर
- टिकाऊ और मजबूत, खराब सड़कों पर भी चलने में सक्षम
- रखरखाव का खर्च अन्य लग्जरी गाड़ियों की तुलना में कम
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से उपयोगी
शहर के लोगों की राय
लखनऊ के निवासियों ने भी इस फैसले पर अपनी राय दी है। स्थानीय निवासी राजेश कुमार का कहना है, “सरकारी खर्चों में कटौती करना जरूरी है। नगर निगम का पैसा अनावश्यक चीजों पर खर्च नहीं होना चाहिए, बल्कि सफाई और आधारभूत सुविधाओं में लगना चाहिए।” वहीं, कुछ अफसरों को इस फैसले से असुविधा महसूस हो रही है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “लग्जरी गाड़ियों से काम आसान हो जाता था, लेकिन अब बोलेरो में यात्रा करने की आदत डालनी होगी।” यह भी पढ़ें
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क्या कहता है सरकार का बजट
सरकारी खर्चों को लेकर लगातार आलोचना होती रही है कि आम जनता के पैसे का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा। नगर निगम के इस फैसले को राज्य सरकार के मितव्ययिता कार्यक्रम के तहत भी देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सरकारी खर्चों में कटौती को लेकर कई सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है। यह भी पढ़ें