UP Government Major Decision: उत्तर प्रदेश में कलेक्टर नहीं होंगे विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, नया विधेयक पेश
UPVC Reform: उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया है, जिसमें जिला कलेक्टरों (DMs) को विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष (VC) के रूप में कार्य करने की अनुमति देने वाले प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल राज्य सरकार द्वारा नियुक्त IAS या वरिष्ठ PCS अधिकारी ही इस पद पर रहेंगे, जिससे शहरी योजना और शासन में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होगी।
यूपी सरकार का बड़ा फैसला: कलेक्टर नहीं संभालेंगे VC का कार्यभार
UP Yogi Government: उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास प्राधिकरणों में जिलाधिकारी (कलेक्टर) के उपाध्यक्ष (VC) के रूप में कार्यभार संभालने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। अब विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष केवल राज्य सरकार द्वारा नियुक्त IAS अथवा वरिष्ठ PCS अधिकारी ही होंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (संशोधन) विधेयक 2025 को विधानसभा में पेश किया गया है।
राज्य सरकार ने विधानसभा में एक अहम विधेयक पेश किया है, जिसके तहत अब जिलाधिकारी (DM) विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष नहीं होंगे। यह जिम्मेदारी अब केवल सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों को ही दी जाएगी। उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम, 1973 की धारा 4 को हटा दिया गया है, जिसमें कलेक्टर को प्रभार रखने की व्यवस्था थी।
मिर्जापुर विंध्याचल विकास प्राधिकरण विवाद से लिया सबक
2018 में मिर्जापुर विंध्याचल विकास प्राधिकरण के गठन की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन शासन ने वहां किसी को उपाध्यक्ष नियुक्त नहीं किया था। ऐसे में जिलाधिकारी को प्राधिकरण का कार्यभार सौंप दिया गया था। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई थी। इसी तरह, अन्य जिलों में भी कलेक्टर के पास यह अतिरिक्त कार्यभार आ जाता था। सरकार ने इस अनियमितता को दूर करने के लिए विधेयक लाने का फैसला किया।
क्यों लिया गया यह फैसला?
प्रशासनिक भार कम होगा – जिलाधिकारियों पर पहले से ही बहुत अधिक कार्यभार होता है। विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी अलग से देना प्रशासनिक कठिनाइयाँ बढ़ा रहा था।
विकास कार्यों में पारदर्शिता – जब एक स्वतंत्र अधिकारी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा, तो विकास योजनाओं में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
न्यायिक आपत्ति – हाईकोर्ट की आपत्ति के बाद सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
बेहतर कार्य प्रबंधन – अब विकास प्राधिकरणों का कार्य एक विशेषज्ञ अधिकारी के हाथ में होगा, जिससे योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया यह नया विधेयक प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे विकास योजनाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यकुशलता बढ़ेगी। जिलाधिकारियों को उनके मुख्य प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा, और विकास प्राधिकरणों को योग्य अधिकारी संचालित करेंगे।
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