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उद्देश्य : सेवा में सुधार, नहीं बढ़ेगा भार
डॉ. शर्मा ने कहा कि निजीकरण का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देना, तकनीकी सुधार करना और लाइन लॉस को कम करना है। उन्होंने जोर देकर कहा, “इस प्रक्रिया से बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में देने का मतलब यह नहीं है कि उपभोक्ता पर आर्थिक बोझ डाला जाए। जो दरें नियामक आयोग तय करता है, वही लागू रहेंगी।”सिंचाई विभाग में टूटा रिकॉर्ड: 244 अवर, 86 सहायक और 19 अधिशासी अभियंताओं के तबादले
पूर्वांचल-दक्षिणांचल पर फोकस
फिलहाल सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) के निजीकरण पर फोकस किया है। इन दोनों निगमों के तहत राज्य के करीब 50 जिलों में बिजली वितरण की जिम्मेदारी है।डॉ. शर्मा के अनुसार पूर्वांचल में तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां अपेक्षाकृत अधिक हैं। दक्षिणांचल में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में ग्राहक सेवा में सुधार की जरूरत है। निजी कंपनियों के आने से इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और ग्राहक संतुष्टि बढ़ेगी।
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क्यों हो रहा है निजीकरण
ऊर्जा मंत्री ने इस सवाल पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, “वर्तमान वितरण व्यवस्था में लाइन लॉस, बिलिंग में अनियमितता, चोरी, और ग्राहक सेवा में कमी जैसी समस्याएं हैं। सरकार ने पाया कि निजी कंपनियों के पास इन समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर तकनीक और प्रबंधन कौशल है। इसलिए वितरण व्यवस्था के निजीकरण का फैसला लिया गया है।”48 घंटे तक प्रदेश में भीषण गर्मी का कहर, 20 जिलों में हीटवेव का अलर्ट, आगरा में पारा पहुंचा 45 डिग्री सेल्सियस
दरों में वृद्धि नहीं होगी
बिजली दरों को लेकर आम उपभोक्ताओं के बीच चिंता रहती है कि निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी। इस पर ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया, “राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ही बिजली की दरें तय करता है। चाहे वितरण व्यवस्था सरकारी हो या निजी, दरें आयोग द्वारा अनुमोदित होंगी। निजी कंपनियों को मनमानी दर वसूलने का अधिकार नहीं होगा।”ग्रामीण उपभोक्ता नहीं होंगे प्रभावित
ग्रामीण उपभोक्ताओं को लेकर भी मंत्री ने भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली वितरण में सुधार होगा, लेकिन सब्सिडी और दरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “ग्रामीण गरीबों को मिलने वाली वित्तीय सहायता, कनेक्शन की रियायतें, और सस्ती दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।”यूपी में 14 साल बाद होगी होमगार्ड भर्ती, जुलाई से 44 हजार पदों पर खुलेंगे आवेदन
टाइमलाइन क्या है
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सरकार 2025 के अंत तक पूर्वांचल और दक्षिणांचल वितरण कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह लागू करना चाहती है।\इसके लिए कंसल्टेंसी एजेंसी नियुक्त की गई है।निविदा दस्तावेज (RFP) तैयार हो रहे हैं।निजी कंपनियों से प्रस्ताव (EOI) आमंत्रित किए गए हैं। जन हितैषी शर्तों को शामिल किया गया है।DGP राजीव कृष्ण से मिले 34 पीपीएस अफसर, कानून-व्यवस्था और साइबर क्राइम पर खास जोर
निजीकरण के बाद क्या बदलेगा
- ऊर्जा मंत्री के अनुसार निजीकरण से यह बदलाव अपेक्षित हैं
- लाइन लॉस में कमी: तकनीकी सुधार से लाइन लॉस 40% से घटकर 15% के करीब आ सकता है।
- बिलिंग में सुधार: स्मार्ट मीटर और डिजिटल बिलिंग से बिलिंग की पारदर्शिता बढ़ेगी।
- ग्राहक सेवा: कॉल सेंटर, मोबाइल ऐप, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेहतर सेवा मिलेगी।
- 24×7 आपूर्ति: बेहतर प्रबंधन से बिजली कटौती में कमी आएगी।
- ग्रामीण सेवा सुधार: ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली सप्लाई की गुणवत्ता बढ़ेगी।