तीन चरणों में हुई परीक्षा
स्वास्थ्य विभाग द्वारा चयनित परीक्षा केंद्र केंद्रीय विद्यालय मंडला में आयोजित परीक्षा में बम्हनी, मोहगांव, नारायणगंज, बिछिया और नैनपुर विकासखंडों की चयनित आशा वर्करों और पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। परीक्षा शासन द्वारा निर्धारित पैटर्न पर डेढ़ घंटे की लिखित परीक्षा के रूप में संपन्न हुई। इससे पहले, प्रथम चरण में आंतरिक ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई थी। द्वितीय चरण में फील्ड कार्य से संबंधित प्रायोगिक परीक्षा ली गई, जिसमें आशा वर्करों और पर्यवेक्षकों के कौशल का मूल्यांकन किया गया। इसके बाद तीसरे चरण में लिखित परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 271 में से 266 प्रतिभागियों ने भाग लिया। परीक्षा का आयोजन केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य की निगरानी में हुआ।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने की पहल
मंडला जिले में आशा वर्कर शिशु से लेकर बुजुर्गों तक की स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभाती हैं। उनके ज्ञान को परखने और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से यह परीक्षा आयोजित की गई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) द्वारा परीक्षा के लिए मानक तय किए गए थे। इस परीक्षा में सफल होने पर आशा वर्करों को प्रमाण पत्र और 5000 रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। स्कूल के दिन याद आए
परीक्षा में शामिल होने आईं कई आशा वर्करों ने कहा कि वर्षों बाद इस तरह बोर्ड परीक्षा के पैटर्न पर परीक्षा देना उनके लिए एक अनोखा अनुभव था। परीक्षा शुरू होने से पहले सभी परीक्षार्थियों ने अपने कक्ष और रोल नंबर देखे। परीक्षा केंद्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जहां मोबाइल फोन समेत अन्य सामग्रियों को बाहर रखवाया गया। यह माहौल देखकर आशा वर्करों को अपने स्कूल के दिनों की याद आ गई।
संपूर्ण तैयारी के साथ दी परीक्षा
डीसीएम हिमांशु सिंगौर ने बताया कि फील्ड में आशा वर्करों का योगदान महत्वपूर्ण होता है। इस परीक्षा का उद्देश्य उनके ज्ञान को बढ़ाना और सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। परीक्षा में शामिल होने से पहले आशा वर्करों ने पूरी तैयारी की और परीक्षा को लेकर काफी उत्साहित नजर आईं। पहले दो चरणों की परीक्षा में उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अब लिखित परीक्षा के परिणाम के बाद उनकी काबिलियत साबित होगी। सर्टिफिकेशन और कैश अवॉर्ड
बीसीएम राहुल चंद्रौल ने बताया कि इस परीक्षा को पास करने के बाद आशा वर्करों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जिससे वे सर्टिफाइड आशा वर्कर बन जाएंगी। साथ ही, सफल उम्मीदवारों को ₹5000 का नकद पुरस्कार भी मिलेगा। परीक्षा के पहले चरण में ऑनलाइन टेस्ट, दूसरे चरण में प्रायोगिक परीक्षा और अब तीसरे चरण में लिखित परीक्षा संपन्न हो चुकी है।
परीक्षा परिणाम के बाद प्रमाण पत्र
गांव और शहरों में आशा वर्कर स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं। इस परीक्षा का मुख्य उद्देश्य उनके ज्ञान और कार्यक्षमता में वृद्धि करना था। तीनों चरणों की परीक्षा में उनके कार्यों की गुणवत्ता की जांच की गई। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद सफल अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जिससे वे स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक दक्षता के साथ काम कर सकेंगी।