नई दिल्ली में ‘उच्च शिक्षा में अमेरिका-भारत साझेदारी के माध्यम से भारत की क्षमता को उजागर करना’ विषय पर प्रमुख हितधारकों के साथ एक पैनल चर्चा हुई। इसमें डेनियल्स ने कहा कि भारत प्रतिभा और अवसरों का देश है। हम यहां अपने कार्यक्रम शुरू करने के लिए उत्साहित है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की डॉ. उर्वशी सिंह ने बताया कि बचपन में टीबी की रोकथाम भारत के लिए अहम है। वहीं, डॉ. गीता राव गुप्ता ने एसटीईएमएम में महिलाओं की भागीदारी को नवाचार और जटिल समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण बताया। यह पहल भारत में लैंगिक समानता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक नई दिशा की शुरुआत है।
टीबी-फ्री स्कूल्स इनिशिएटिव
भारत में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में लगभग 6% टीबी के मामले पाए जाते हैं। इसे देखते हुए जॉन्स हॉपकिन्स ने टीबी-फ्री स्कूल्स इनिशिएटिव शुरू किया है। यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश के एक पायलट प्रोजेक्ट की सफलता पर आधारित है, जिसने रेजिडेंशियल स्कूलों में टीबी के मामलों में 87% की कमी दर्ज की थी। अब इसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य स्कूलों में सक्रिय और निष्क्रिय टीबी के मामलों की पहचान, रोकथाम और इलाज करना है। कार्यक्रम में रोगियों की देखभाल, शिक्षा और परामर्श सेवाएं भी शामिल हैं। इसे भारत सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एम्स गोरखपुर और मुकुल माधव फाउंडेशन के सहयोग से चलाया जाएगा।
महिला वैज्ञानिकों के लिए फेलोशिप
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार महिला वैज्ञानिकों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप एसटीईएमएम क्षेत्रों में महिलाओं की वैश्विक भागीदारी मात्र 29% है, जबकि भारत में यह केवल 17% है। इस असमानता को पाटने के लिए गुप्ता-क्लिंस्की इंडिया इंस्टीट्यूट ने महिला वैज्ञानिकों के लिए एक 12 महीने का फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम में तकनीकी शिक्षा, अनुभवात्मक प्रशिक्षण, संरचित मेंटरशिप, लीडरशिप डिवेलपमेंट और नेटवर्किंग जैसे अवसर शामिल हैं। इसे यूएस-इंडिया एलायंस फॉर विमेंस इकोनॉमिक एंपावरमेंट के तहत संचालित किया जाएगा।